"कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है"
प्रेमियों के चहेते, लाखों दिलों पर राज करने वाले कुमार विश्वास की यह पंक्तियां, शायद ही कोई ऐसा होगा जिसके ज़हन में न हो. हिंदी के महान कवि, सक्रीय राजनेता डॉक्टर कुमार विश्वास आज अपना 48 वां जन्मदिन मना रहे है. 10 फरवरी 1970 को पिलखुआ, (ग़ाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश) में जन्में कुमार विश्वास ने वर्तमान में हिंदी साहित्य को देश-विदेश में घूमकर अपनी रचनाओं के माध्यम से एक ऐसे शिखर पर पहुंचाया है, जहाँ हर भारतीय को गर्व महसूस होता है. साथ ही वर्तमान में कुमार विश्वास कवि के साथ-साथ राजनीती में सक्रीय राजनेता के रूप में भी अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे है.
वर्ष 1994 में कुमार विश्वास को 'काव्य कुमार' 2004 में 'डॉ सुमन अलंकरण' अवार्ड, 2006 में 'श्री साहित्य' अवार्ड और 2010 में 'गीत श्री' अवार्ड से सम्मानित किया गया. साथ ही कांग्रेस शासन के समय हुए 'अन्ना के आंदोलन' में कुमार विश्वास ने रीढ़ का काम करते हुए पुरे साहस के साथ आंदोलन को एक मुकाम पर पहुंचाने में अहम रोल अदा किया है. कुमार की लोकप्रिय कविताएं - 'कोई दीवाना कहता है', 'तुम्हें मैं प्यार नहीं दे पाऊंगा', 'ये इतने लोग कहां जाते हैं सुबह-सुबह', 'होठों पर गंगा है' और 'सफाई मत देना' आज देश के लाखों युवाओं की जुबान और दिल पर पर काबिज है.
करियर के शुरूआती आर्थिक तंगी के दौर में कुमार विश्वास कवि सम्मेलन से घर लौटते समय पैसे बचाने के लिए ट्रकों से लिफ्ट लेकर सफर किया करते थे. हिंदी साहित्य में स्वर्ण पदक के साथ कुमार विश्वास ने 1994 में बतौर लेक्चरर अपने करियर की शुरुआत की थी. हिंदी के विख्यात लेखक धर्मवीर भारती ने कुमार विश्वास को अपनी पीढ़ी का सबसे ज्यादा संभावनाओं वाला कवि कहा था. प्रसिद्ध हिंदी गीतकार नीरज ने उन्हें 'निशा-नियाम' की संज्ञा दी है. कुमार विश्वास की लोकप्रियता का अंदाजा हम इस बात से भी लगा सकते है कि, कुछ दिनों पहले स्कूल के एक फंक्शन में, मैंने डेढ़ साल की एक बच्ची को 'कोई दीवाना कहता है' गुनगुनाते हुए सुना था.