कहा जाता है कि शिक्षा का कोई दायरा नहीं होता हैं, आप जितना इसे बाटेंगे ये उतना ही बढेंगी. शिक्षा ही ऐसी चीज हैं जो बाँटने पर और बढ़ती हैं. किसी और के मुक़ाबले. ग्राम सावाके पूर्व सरपंच उस्मान खान केवल 9 वीं तक पढ़े हैं. परन्तु वे शिक्षा के क्षेत्र में कभी अपने हाथ पीछे नहीं खींचते. वे कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद शिक्षा के महत्त्व को भली-भाँति जानते हैं. वे गांव में बालिका शिक्षा के प्रति बने माहौल को देखकर इतने अभिभूत हुए कि उन्होंने छात्राओं की अच्छी शिक्षा के लिए ब्लेंक चेक ही कलेक्टर के हाथों में सौंप दिया.
जिसमे कलेक्टर ने 25000 रु ही भरवाए, परन्तु यह तो उस्मान की दरियादिली का ही नतीजा था कि उनसे प्रेरित स्कूल स्टाफ और बच्चियां तक भामाशाह बनकर आगे गईं. मौके पर ही करीब एक लाख से अधिक की राशि जुट गई. आपको जानकारी के लिए बता दे कि 3 दिन पहले रा.उ.मा.वि में शिक्षा चौपाल का आयोजन किया गया था. कलेक्टर इंद्रजीत सिंह सहित प्रशासनिक अधिकारियों आने वाले थे. संस्था प्रधान आभा मेहता सहित स्टाफ के साथ पूर्व सरपंच उस्मान सहित लोग भी अगवानी में खड़े हुए थे. शिक्षा सम्बन्धी विषय पर बाते चल रही थी. तब ही उस्मान ने अपनी चेक बुक निकाली और साइन कर एक खाली चेक कलेक्टर को सौंप दिया. कलेक्टर ने राशि भरने को कहा तो उस्मान ने कहा कि जो आपकी मर्जी और स्कूल की जरूरत हो. कलेक्टर ने उसमें 25 हजार रुपए की राशि भरी.
पूर्व सरपंच उस्मान खान ने कहा कि- मैंने नौवीं तक पढ़ाई की तब परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से आगे नहीं पढ़ पाने का मलाल है. चाहता हूं हर बालक खूब पढ़े. अपनी तीन बेटियों, बेटे को भी उच्च शिक्षा दिलाई. एक वक्त था कि जब खाने के भी लाले थे. अमेरिका की जो लाल ज्वार कंट्रोल में मिलती थीं. उसे खाकर जीवन चलाते थे. वक्त ने करवट बदली. मेहनत से इस लायक हुए कि परिवार के बच्चे शिक्षित हो गए. गांव का बालिका स्कूल नाम कमा रहा है. इसलिए मैंने विद्यालय को ब्लैंक चेक सौंपा.
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