हर इंसान अपने जीवन में धनवान बनना चाहता है लेकिन बहुत ही कम लोग इस मुकाम को हांसिल कर पाते है दरअसल व्यक्ति के जीवन में उसके जन्म नक्षत्र का बहुत प्रभाव पड़ता है. जिससे उसकी प्रकृति स्वभाव गुण और विशेषता निश्चित होती है. वैदिक ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्रों के विषय में वर्णन किया गया है किन्तु इन 27 नक्षत्रों में 6 नक्षत्र को गंडमूल नक्षत्र कहा जाता है. इनके विषय में ऐसी मान्यता है की जिस बच्चे का जन्म इन 6 नक्षत्रों में होता है तो उसके जन्म से 27 दिन के बाद जब वही नक्षत्र फिर से आता है तो उसकी शान्ति पूजा करवाना जरूरी होता है. ऐसा नहीं करने पर ये उस बच्चे और उसके माता-पिता के लिए घातक होता है. किन्तु ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों का मानना है की जिस बच्चे का जन्म गंडमूल नक्षत्र में होता है उस बच्चे में अद्भुत क्षमताएं होती है और वह अपनी मेहनत के बल पर धनवान बनता है.
आइये जानते है की गंडमूल नक्षत्र कौन से है.
अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा मूल और रेवती इन 6 नक्षत्रों को गंडमूल नक्षत्र कहा जाता है. इन नक्षत्रों को शांत करने के लिए जो पूजा की जाती है उसे मूल शान्ति पूजा कहते है. इसके लिए 27 जगहों से पानी और 27 वृक्षों की पत्तियां आदि से मंत्रौच्चार के साथ उस बालक को स्नान कराते है तथा ग्रहों की शांति के लिए हवन, पूजन किया जाता है.
इन नक्षत्रों में जन्मे बालक की विशेषता
जिन बालकों या बालिकाओं का जन्म गंडमूल नक्षत्र में होता है वह बहुत मेहनती होते है वह किसी भी कार्य को उसकी पूर्णता तक पहुचाने की क्षमता रखते है तथा अपनी मेहनत के बल पर बहुत संपत्ति अर्जित करते है. ये अपने जीवन के सभी संघर्षो को अपनी क्षमता के साथ पूरा करते है और अपने परिवार के सुख के सभी साधन जुटा लेते है.
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