नई दिल्ली : नोटबन्दी के मुद्दे पर हलाकान हो रहे देशवासियों को उम्मीद थी कि कल दोपहर मुंबई में मौद्रिक नीति की समीक्षा की घोषणा के दौरान रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल नोटबन्दी के मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करेंगे, लेकिन वे प्रेस कांफ्रेंस में अमूमन चुप ही बैठे रहे. सारे जवाब डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने ही दिए. इससे ऐसा लगता है कि सरकार की नजर में ही अभी नोटबन्दी को लेकर कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं बन पाई है.
उल्लेखनीय है कि कल बुधवार को मुम्बई में रिजर्व बैंक की पूरी टीम मौद्रिक नीति की समीक्षा की घोषणा करने बैठी थी लेकिन लोगों की नजर सिर्फ इस बात पर टिकी थीं कि नोटबंदी से जुड़े सवालों पर रिजर्व बैंक और उसके गवर्नर उर्जित पटेल क्या राहत देने वाले हैं, लेकिन अफ़सोस उनकी ओर से कोई राहत नही दी गई. अधिकांश सवालों के जवाब डिप्टी गवर्नर गाँधी ने ही दिए.
बता दें कि पत्रकारों ने नोटबन्दी से जुड़े कुल चार सवाल पूछे जिनमें पहला यह कि नकदी की समस्या कब दूर होगी तो जवाब डिप्टी गवर्नर गाँधी की ओर से आया कि सप्लाई की कमी नहीं है, लोग होर्डिंग बंद कर देंगे को दिक्कत दूर हो जाएगी. वहीं नकद निकालने की सीमा कब तक रहेगी सवाल का जवाब भी गांधी ने दिया कि लगातार समीक्षा कर रहे हैं लेकिन सही तारीख बना पाना अभी मुश्किल है.
इसी तरह जब तीसरा सवाल यह पूछा गया कि क्या एक हजार का नया नोट आएगा तो इसका भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला. गवर्नर पटेल चुप बैठे रहे. जवाब गाँधी ने ही दिया कि इसका फैसला लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सही समय आने पर किया जाएगा, इस बारे में अभी कुछ तय नहीं है. जब चौथा और आखिरी सवाल यह पूछा कि क्या पुराने नोट जमा करने की तारीख बदलेगी? तो एक बार फिर जवाब गाँधी ने देते हुए कहा कि जहां तक तारीख की बात है, समीक्षा लगातार हो रही है. अब तक ये तारीख 30 दिसंबर ही है. यानी रिजर्व बैंक की तरफ से नोटबन्दी को लेकर न तो कोई वादा किया गया और न ही कोई राहत दी गई.
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