मन में कामना रखकर भजन करने से सिर्फ उसका फल प्राप्त होता है लेकिन निष्काम मन से किए गए भगवान के भजन से भगवान की प्राप्ति अवश्य ही होती है। ज्योतिष शास्त्र ही नहीं बल्कि अन्य धर्मशास्त्रों में यह बताया गया है कि भगवान की भक्ति या भजन भाव में निष्काम होना जरूरी है। सांसरिक फल तो मनुष्य को भगवान से दूर करता है, इसलिए निष्काम भाव से भजन करना ही श्रेष्ठ है।
भगवान का ध्यान, भजन करने वाला मनुष्य ईश्वर की कृपा से परमानंद और शांति को प्राप्त कर लेता है, इसमें बिल्कुल भी आश्चर्य की बात नहीं है। भगवान के भक्तों का आश्रय ग्रहण करके उनके वचनों के अनुसार चलने वाला मूढ़ पुरूष भी दुखों से मुक्त होकर परमात्मा को प्राप्त हो जाता है।
सर्वदा ईश्वर का नाम लेने या भजन करने या नाम स्मरण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण हो जाता है, इसलिए सदैव ईश्वर के नाम का ही स्मरण करते रहना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में यह साफ कहा गया है कि उपाय भी किये जाए तो ईश्वर के भरोसे ही किये जाए।