जब तक इंसान के अंदर जिस्म की भूख रहेगी तब तक जिस्मफरोशी रहेगी. देव काल में अप्सराये तो राजा- महाराजा दासी और मुग़ल अपने में हरम में कनीज़ों को रखते आये है. सदियों से पर्दे के पीछे रात में पनपा ये व्यापार आज के हालत में खुल्लेआम अपने चरम पर है. पुराने समय के कोठों से निकल कर जिस्मफरोशी का धंधा अब वेबसाइटों तक पहुंच गया है.
जिसे जो चाहिए जरुरत के हिसाब से हैट टेस्ट उपलब्ध है. साधनो की संपनन्नता ने इस धंधे में लगे लोगो और ग्राहकों की मुश्किलें तो बिलकुल कम कर दी है, पर कानून व्यवस्था की धज्जिया उड़ा कर रख दी है. इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी के मामले में पिछड़ी पुलिस के लिए इस नेटवर्क को भेदना लगभग नामुमकिन ही है. सिर्फ नेट पर अपनी जरूरत लिखकर सर्च करने से ऐसी सेकड़ो वेब साइट मिल जाएंगे जहां हाईप्रोफाइल वेश्याओं के फोटो, नंबर और दाम तक लिखे होते हैं. इन पर कालेज छात्राएं, मॉडल्स और टीवी-फिल्मों की नायिकाएं तक उपलब्ध कराने के दावे किए जाते हैं.
बांग्लादेश, भारत, थाइलैंड, श्रीलंका, आदि में सेक्स पर्यटन आम हो चुका है. दुनिया के अति पश्चात् संस्कृति वाले मुल्को में जिस्मफरोशी को वैधता दी जा चुकी है.
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