चैत्र नवरात्रि हिन्दू धर्म और आस्था का महापर्व. चैत्र नवरात्रि में शक्ति स्वरूपा, जग जननी, माँ जगदम्बा के नौ रूपों की आराधना के नौ दिन तक की जाती है. आपने माता के कई रूप देखे होंगे, मगर शक्ति के हर रूप में माँ के वाहन के रूप में शेर या सिंह जरूर होता है. इसीलिए माता को शेरोवाली भी कहा जाता है. आपने जयकारा भी लगाया होगा ''जयकारा शेरोवाली का, बोल सच्चे दरबार की जय'' मगर क्या आप जानते है कि माँ शेर की सवारी ही क्यों करती है. इसका उल्लेख शिव पुराण में है.
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शंकर माता पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे तो उसे सुनने के लिए जंगल से एक सिंह और एक बाघ उनकी ओर दौड़े. उन्हें अपनी ओर आता देख शंकर भगवान ने उन्हें पार्वती के लिए खतरा समझ कर अपने त्रिशूल से वार किया जो सीधा बाघ को जा लगा और उसकी वहीं मृत्यु हो गई. जब माता पार्वती ने सिंह से पूछा की तुम दोनों इस तरह से हमारी और क्यों बढ़ रहे थे, तभी सिंह ने कहा कि हम दोनों तो अमर कथा सुनने हेतु यहाँ आ रहे थे और आपने उसका अभिप्राय कुछ और ही निकाल लिया.सिंह की बात सुन कर भोले नाथ और माता पार्वती को अपने किये पर पछतावा हुआ. जिसके फलस्वरूप माता ने मरे हुए बाघ की खाल पर शंकर भगवान को बिठाते हुए बाघ को ये वरदान दिया की आज से युगों युगों तक जब भी शंकर भगवान की पूजा होगी तुम्हारी ये खाल भी पूजी जाएगी और भगवान इसी को धारण करेंगे और इसी का आसान बनाकर विराजमान होंगे. तब से लेकर आज तक शंकर भगवान मृगछाल के आसन पर विराजित होते है और बाघाम्बर ही धारण करते है. इसीलिए उनका एक नाम बाघाम्बरधारी भी है.
इस प्रकार बाघ परमेश्वर के हाथों मुक्ति पाकर परम गति को प्राप्त हुआ और अंत में बाबा महाकाल का आसान बना. इस पर सिंह ने कहा, है भगवन, है माते आपने अपने सभी आशीष इस बाघ पर न्योछावर कर दिए मगर मे भी इसी आस से आपके चरणों में आया हूँ. तभी भोले भंडारी ने सिंह पर कृपा करते हुए कहां जाओ आज से तुम शक्ति के प्रतिक के रूप जाने जाओगे और शक्ति स्वरूपा जग जननी जगदम्बा की सवारी बन कर उनके साथ पूजे जाओगे. तब से लेकर आज तक माँ सिंह पर विराजमान है और उसे शेरोवाली मैया भी कहा जाता है. जय माता दी.
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