आप सभी इस बात को जानते होंगे कि चार वेदों और अनिगिंत स्मृतियों के अलावा हिन्दू धर्म में महान ऋषि-मुनियों ने धार्मिक पुराणों की भी रचना की थी. उन सभी पुराणों में से एक है भगवान विष्णु के अवतार 'वराह' को समर्पित वराह पुराण भी रचा गया था. इस पुराण में भगवान वराह से जुड़ी कथाएं और उनके कथन दर्ज किए गये हैं. वराह पुराण में दर्ज एक कथा में ही भगवान वराह ने एक ऐसी चीज के बारे में बताया था जिसे प्रभु को अर्पित करने से जीवन के कष्ट समाप्त हो जाते हैं तो आइए जानते हैं कथा..
एक बार जब भगवान वराह से किसी ने पूछा कि प्रभु बताएं हम आपको क्या अर्पित करें ताकि आप हमारे जीवन के कष्टों को खत्म करें. तब भगवान वराह ने कहा कि यदि मुझे प्रसन्न करना हो तो रोजाना मुझे 'मधुपर्क' अर्पित करो. आगे भगवान वराह ने बताया कि मधुपर्क एक बेहद शक्तिशाली वास्तु है. लेकिन जब भगवान वराह से यह पूछा गया कि आखिर यह मधुपर्क दिखता कैसा है तो उन्होंने बताया कि गूलर की लकड़ी में शहद, दही और घी को सामान मात्रा में मिलाकर जो मिश्रण तैयार किया जाता है उसे मधुपर्क कहते हैं. इसी मिश्रण का भगवान को भोग लगाने से कष्टों का हरण होता है. लेकिन आज के समय में मधुपर्क जैसी कोई वस्तु है तो वह है 'चरणामृत'..
आइए जानते हैं बनाने कि विधि - चरणामृत में सामान मात्रा में दूध, दही, शहद, चन्दन, घी मिलाया जाता हैऔर इन चीजों से भगवान की मूर्ति का अभिषेक भी किया जाता है और उनके चरणों को भी धोया जाता है. यह कारण है कि इसे चरणामृत कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार इस चरणामृत को रोजाना भगवान को अर्पित करने से वह बहुत खुश होते हैं और हमारे जीवन की तमाम कठिनाईयों से लड़ने के लिए हमे ताकत देते हैं.. इससे रोग, शत्रु में कमी आती है और भविष्य में सुख ही सुख होता है.
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