मेरठ: जिम्मेदार पद पर बैठा क्या कोई पिता अपनी बेटी के मोह में अपने पद का दुरूपयोग कर संस्था को धोखा दे सकता है. जाहिर है जवाब नहीं में ही होगा, लेकिन चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रमेश चंद्रा ने अपनी पुत्री की बीई की फर्जी मार्कशीट को प्रमाणित करके नियुक्ति दिलाने में मदद कर धोखाधड़ी की थी. उन्हें इस अपराध के लिए सीबीआई की दिल्ली तीस हजारी कोर्ट ने शुक्रवार को दो साल की सश्रम सजा सुनाई और दस हजार रुपए जुर्माना भी किया.
बता दें कि प्रो. रमेश चंद्रा चौ. चरण सिंह विवि में दो मार्च 2000 से एक मार्च 2003 के बीच कुलपति रहे थे. मेरठ में कुलपति रहने से पहले प्रो. चंद्रा नई दिल्ली में पॉलीमर टेक्नोलॉजी इन डायरेक्टोरेट ऑफ ट्रेनिंग एंड टेक्निकल एजुकेशन में प्रोफेसर थे. वहीं पर उन्होंने अपनी बेटी की नियुक्ति के समय फर्जीवाड़ा किया था.
हुआ यूँ कि प्रो. चंद्रा की पुत्री ने बंगलुरु यूनिवर्सिटी से बीई किया था, लेकिन आवेदन के समय वह फाइनल इयर में फेल हो गई थी .प्रो. चंद्रा ने अपनी पुत्री को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण आयोग (डीपीसीसी) में 1997-99 में इंजीनियर के पद पर नियुक्ति के लिए फर्जी तरीके से फोटोकॉपी में पास दिखाकर उसकी मार्कशीट को प्रमाणित करके नौकरी के लिए आवेदन करा दिया था और नियुक्त कराया था.
इन मामले की हुई सीबीआई की जांच में उन्हें दोषी पाया गया. जिसके आधार पर सजा सुनाई गई. चौ. चरण सिंह विवि में कुलपति रहने के दौरान प्रो. चंद्रा जांच के चलते तीन महीने के लिए हटाए भी गए थे. प्रो. चंद्रा पर इसके अलावा मेरठ के सीजेएम में मूल्यांकन में गड़बड़ी करने का भी केस चल रहा है.
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