छत्तीसगढ़ विधानसभा 2018 : चुनावी समर में प्रत्याशियों की नजर रहेगी पुराने मुद्दों पर

छत्तीसगढ़ विधानसभा 2018 : चुनावी समर में प्रत्याशियों की नजर रहेगी पुराने मुद्दों पर
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रायपुर: भारत में इस समय चुनावी समर की सुगबुगाहट देखी जा रही है और अब देश में कुछ राज्यों में होने वाले चुनावों लेकर पार्टी स्तर पर कार्य शुरू हो गया है। देश के मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में नबंवर में चुनाव होने हैं और छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच फिर से एक दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना है। यहां बता दें कि पिछले तीन चुनावों में यहां वोटों का प्रतिशत लगभग समान रहा है।

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जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में चौथा विधानसभा चुनाव होने जा रहा है और अब यहां दलों की राजनीति और रणनीति अपनी रूपरेखा बनाने लगे हैं। छत्तीसगढ़ में प्राय: विधायक, पिछले चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी और अब वे नेता जो इस बार चुनाव लड़ रहे हैं वे सभी जनता को मनाने के बारे में सोच रहे हैं। जहां तक देखा जाता है कि राज्यों में चुनाव के दौरान प्रत्याशी जनता से वोट मांगने जाता है और जनता द्वारा उसे अपने क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराया  जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य में पिछले पांच सालों में कई बड़े मुद्दे आए और बहुत से मुद्दे तो पहले से ही राज्य में थे जिन पर कार्य किया जाना था। रमन सरकार के बनने के बाद राज्य में कुछ बदलाव तो हुए हैं लेकिन इसके बावजूद भी कई स्थानों पर कुछ मुद्दे वर्तमान समय में भी हैं। 

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गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार अपने 15 साल पूरे करने जा रही है और इससे पहले भी कांग्रेस सरकार ने तीन साल राज्य में राज किया है लेकिन सरकारों के बदलने के बाद भी यहां विकास की स्थिति ज्यादा कुछ ठीक नहीं है। वर्तमान समय में जहां राज्य के मुख्य शहरों में प्राय: सभी सुविधाएं हैं तो वहीं पिछले इलाकों और गांवों में सुविधाएं न के बराबर हैं।  

छत्तीसगढ़ राज्य में चुनाव के दौरान उठ सकते हैं ये मुद्दे-

1. छत्तीसगढ़ में आज भी सड़कें अपने मूल रूवरूप में नहीं आ सकी हैं। 
2. राज्य के पिछले इलाकों में पुलों की स्थिति ठीक नहीं, गांवों में पुल और पुलिया की सुविधाएं न के बराबर हैं। 
3. पिछले क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं का अभाव।
4. किसानों के लिए अब तक सिंचाई के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध न होना।

5. फसलें बर्बाद होने पर उचित मुआवजा राशि नहीं मिलना मांगे हैं जिन्हें सरकार द्वारा अब तक पूरा नहीं किया गया है और यही मांगे आने वाले चुनाव को प्रभावित कर सकती हैं। 

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