छत्तीसगढ़ सरकार आखिरकार आदिवासियों के भारी विरोध के आगे झुक गई है. गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में यह अहम फैसला लिया गया कि सरकार भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक वापस लेगी. सर्व आदिवासी समाज और राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष जे आर राणा ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से कैबिनेट की बैठक से पहले मुलाकात की थी, तब समाज ने विधेयक को वापस लेने की मांग रखी थी. सरकार ने इस मांग को स्वीकार कर लिया है.
लोगों का अनुमान है कि इस साल होने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा. दरअसल भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक के रखते ही विपक्षी दल कांग्रेस विरोध ने कर दिया. सर्व आदिवासी समाज ने भी इस विधेयक का खुलकर विरोध शुरू कर दिया. गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र में छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक को लेकर पार्टियों में अलग-अलग विचार थे. एक ओर जहां कांग्रेस ने संशोधन विधेयक के खिलाफ वोटिंग की, दूसरी ओर सरकार ने संख्याबल के आधार पर इसे पारित करा लिया.
इसके बाद से कांग्रेस इसका विरोध करती रही. वहीं सर्व आदिवासी समाज भी इसके खिलाफ था. इसके अलावा बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पदाधिकारियों ने भी आशंका जताई थी कि विधेयक पारित होने से आदिवासी इलाके में बीजेपी को वोट शायद ही मिलें. इस मामले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने बयान जारी कर कहा कि चुनावी साल होने के चलते घबराहट में सरकार ने विधेयक वापिस लिया है.
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