विस्तारवादी सोच वाला पड़ोसी मुल्क चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है उसने एक बार फिर भारत को घेरने के लिए नई साजिश रची है. इसके लिए वह भारत के पड़ोसी मुल्कों को अपना हथियार बना रहा है. मिली जानकारी के मुताबिक चीन, भारत के पड़ोसी मुल्कों को क़र्ज़ बाँटकर वहां जमीन देख रहा है. गरीब और कमजोर देशों को उनके बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चीन ऊंची ब्याज दर पर काफी लोन देकर वहां के प्रोजेक्ट में हिस्सेदारी हासिल कर रहा है. जब ये देश चीन का कर्ज चुका पाने की स्थिति में नहीं रहते हैं, तो वह उन देशों में उस प्रोजेक्ट और जमीन पर कब्जा कर लेता है. चीन की नीति साफ दिख रही है कि दुनिया भर के देशों को उधार पैसे देने की रणनीति में लगा है विशेषकर उन जगहों पर जहाँ पर वह अपनी सैन्य गतिविधियों को ज्यादा बड़ा सके.
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मेगा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के बारे में विश्लेषकों का कहना है कि यह एक डेब्ट ट्रैप है, जिसे वह भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है. अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट नाम के थिंक टैंक ने चेतावनी दी है कि भारत के पड़ोसी देशों को चीन उधार देकर फांस रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मालद्वीप सहित भारत के आठ पड़ोसी मुल्कों के ऋण के संकट में फ़सने के संकेत हैं.चीन की रणनीति सरल है वह छोटे, कम विकसित देशों में भूमि पर कब्जा करने के लिए उन्हें ढांचागत परियोजनाओं के लिए उच्च दर पर ऋण देता है और परियोजनाओं में इक्विटी प्राप्त करता है. जब वे देश ऋण चुकाने में असमर्थ है, तो चीन परियोजना का स्वामित्व और भूमि पर कब्जा कर लेता है. वह भारत के खिलाफ सामरिक उपयोग के लिए इस जमीन का इस्तेमाल कर सकता है.
इसका ताज़ा उदाहरण श्रीलंका है जिसने चीन के साथ 1.1 बिलियन की डील हंबनटोटा पोर्ट के नियंत्रण और विकास के लिए की थी इसे चीन की एक सरकारी कंपनी ने 99 साल के लिए लीज पर लिया. इसमें 15 हज़ार एकड़ में इंडस्ट्रियल जोन भी बनाया जायेगा. पिछले कुछ साल में चीन ने श्री लंका को आधारभूत संरचना के विकास के लिए काफी क़र्ज़ दिया था. अब श्रीलंका वह कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं है. लिहाजा, चीन को जमीन को लीज पर देकर वह कर्ज चुकाने की कोशिश कर रहा है. हंबनटोटा पोर्ट से पैसे का कुछ हिस्सा कर्ज की भरपाई के लिए जाएगा. चीन का लोन न चुका पाने की बड़ी वजह लोन दी गई रकम पर चीन की ओर से लगाया गया अधिक ब्याज है. वहीँ बांग्लादेश को चीन ने पिछले साल राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दौरे के दौरान 25 अरब डॉलर के सॉफ्ट लोन दिया था मगर अब चीन दबाव बना रहा है कि इस लोन को कमर्शियल क्रेडिट में बदल दिया जाये, जिस पर ब्याज अधिक लगेगा. यह लोन बांग्लादेश को वन बेल्ट , वन रोड के लिए दिया था जो चीन को बाकी एशिया, अफ्रीका और यूरोप से जोड़ेगा. चीन के लोन पर अधिक ब्याज दर बांग्लादेश को श्रीलंका की तर्ज कर्ज के जाल में फंसा सकता है. हालांकि, बांग्लादेश ने इस कदम का विरोध किया है.
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