बीजिंग : 15 अगस्त पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बलूचिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का मुद्दा क्या उठाया पाकिस्तान के साथ-साथ चीन भी तिलमिला गया. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन की तरफ से अनुचित टिप्पणी की गई कि मोदी अपना सब्र खो चुके हैं और उन्होंने बैर के पूर्वानुमानित कट्टर लहजे को अपना लिया है.
चीन के सरकारी अखबार में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार उपरोक्त टिप्पणी के साथ मोदी पर यह आरोप भी लगाया गया कि वह बलूचिस्तान और पीओके का मामला इसलिए उठा रहे हैं, ताकि कश्मीर के तनावपूर्ण माहौल से लोगों का ध्यान हटाया जा सके.
मोदी के 'उकसावे वाली कार्रवाई से भारत पर बढ़ता खतरा' नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया कि भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को फिर से जीवंत बनाने की अनिच्छुक कोशिशों के बाद, बतौर प्रधानमंत्री तीसरे साल में प्रवेश कर चुके नरेंद्र मोदी ने सब्र खो दिया है और उन्होंने बैर के पूर्वानुमानित कट्टर लहजे को अपना लिया है.
इस मामले में चीन का नजरिया कितना तंग है कि उसने पीओके के आतंकवाद से पीड़ित लोगों को पांच लाख रुपये की सहायता राशि देने के मोदी सरकार के संभावित कदम को भी उकसावे वाली कार्रवाई बताया. साथ ही चीन ने यह भी कहा कि इससे भी ज्यादा अहम यह है कि पाकिस्तान की तरफ के कश्मीरी इस मुआवजे का दावा कर सकते हैं. चीन ने तो मोदी के आजादी की सालगिरह पर दिए भाषण को भी उकसावे वाला ऐसा ही कदम माना.