चीन: आज आधुनिक युग में जहां हर देश एक दूसरे के प्रतियोगी है और सभी देश अपनी सीमाओं की जटिलता व सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे है जिससे बाहरी देश के आक्रमण को रोका जा सके और विपरीत गतिविधियां की जा सके. लेकिन हाल ही में ज्ञात हुआ है कि चीन अपने पड़ोसी देशों की सीमाओं के सुरक्षाकवच को धराशायी करने की साजिश कर रहा है. इस साजिश को अंजाम देने की लिए चीन एक विशालकाय हथियार तैयार कर उसका परीक्षण कर रहा है.
चीन ने एक विनाशकारी सुपर इलेक्टोमैग्नेटिक वेपन 'रेलगन' नामक हथियार विकसित किया है जिसका मुख्य उद्देश्य दूसरे देशों की सुरक्षा सीमाओं को तहस-नहस करना है. ये घातक हथियार हर तरह की सुरक्षा प्रणाली को भेदने में सक्षम है. अभी 'रेलगन' का परीक्षण किया जा रहा है, 'रेलगन' जैसे विशाल आधुनिक हथियार की कुछ तस्वीरें परीक्षण के दौरान इंटरनेट पर वायरल हुई है.
यह रेलगन समुद्री जहाज पर तैनात किया जायेगा, प्राप्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि वर्तमान की कोई भी रक्षा प्रणाली या रेडार प्रणाली इस हथियार के आक्रमण को रोकेने में असमर्थ है. यह जंगी हथियार 'रेलगन' चीन के वुचांग समुद्री जहाज पर देखा गया है. कहा जा रहा है कि इसे आकार में बेहद विशाल सरंचना और आक्रामक रूप दिया गया है. यह सिर्फ 37 एमएम की सामान्य तोप नहीं है जो कि आम जहाजों में तैनात होती है. इसके पूर्व अमेरिका भी इस तरह के हथियार बना चुका है, परन्तु वो सिर्फ 'प्रोटोटाइप रेलगन' तैयार करने में ही समर्थ हुआ है, 'प्रोटोटाइप रेलगन' के निर्माण के दौरान इसकी लागत 500 अरब डॉलर के पार जाने की कारण उसे 'प्रोटोटाइप' से ही संतुष्ट होना पड़ा ,लेकिन चीन विश्व विजेता बनने की इस मुहीम में कामयाब होता नजर आ रहा है.
'रेलगन' और सामान्य तोपों में अंतर ये है कि रेलगन से 'इलेट्रोमग्नेटिक पावर' से गोले दागे जाते है जो कि कई किलोमीटर की दूरी को साध सकते है, जबकि सामान्य तोपों में गोले दागने के लिए बारूद की आवश्यकता होती है. इतना ही नहीं, अमेरिका ने जो रेलगन तैयार की है उसकी रफ्तार ध्वनि की रफ्तार से सात गुना तक अधिक है जो कि 160 किलोमीटर तक की रेंज तक आक्रमण कर सकती है. अब ये कहना मुश्किल है कि चीन द्वारा निर्मित इस 'सुपर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक हथियार रेलगन' की ताकत और महानता की परिमापता क्या है. चीन का यह कारनामा अमेरिका, भारत व अन्य देशों के लिए विचारणीय विषय बन गया है.
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