नई दिल्ली: इस बार जी.एस.टी. ने होली के कारोबार के रंग को बेरंग कर दिया है . वैट के तुलना जी.एस.टी. में कर की मार ज्यादा होने से रंग के कारोबारी खरीदी में उलझ रहे हैं .जी.एस.टी. के कारण बिना बिल वाले कारोबार पर ज्यादा असर पड़ा है .सीमित अवधि के इस बिजनेस की खरीदी 30 -40 प्रतिशत कम हो गई है .
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में सदर बाजार में होली के माल की बिक्री बहुतायत से होती है. यहां से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार व राजस्थान तक माल जाता है .करीब सौ कारोबारी गुलाल, रंग, पिचकारी आदि का थोक कारोबार करते हैं.पिचकारी 8 से लेकर 500 रुपए तक और सामान्य रंग के मुकाबले हर्बल रंग 6 गुना कीमत पर बिक रहा है . जीएसटी लगने से व्यापार प्रभावित हुआ है.
पिचकारी और रंग विक्रेता अनिल शर्मा ने कहा कि इस बार जी.एस.टी. ने होली का रंग फीका कर दिया है.होली का धंधा साल भर नहीं चलता.इसके व्यापारी होली पर ही आते हैं दूसरे राज्यों के छोटे कारोबारी के पास जीएसटी नंबर नहीं होता .इसलिये पकड़े जाने के डर से उनके माल की ढुलाई ट्रांसपोर्टर कर ही नहीं रहे हैं. इसी कारण दूसरे राज्यों से इस बार 40 प्रतिशत कम ऑर्डर आए हैं.जबकि थोक कारोबारी सुभाष शर्मा का कहना था कि होली के सामान पर 5 प्रतिशत वैट था लेकिन अब 18 प्रतिशत जी.एस.टी. लग रहा है.सामान 10 से 15 प्रतिशत महंगा होने से कारोबारी ज्यादा माल खरीदने से परहेज कर रहे है .
यह भी देखें
वित्तमंत्री ने बैंकों के निजीकरण की बात को नकारा
PNB घोटाले पर सरकार के बचाव में आये देवेंद्र फडणवीस