बच्चों की त्वचा काफी संवेदनशील होती है और उनका इम्यून सिस्टम भी कमजोर होता है. इसलिए छह महीने से कम उम्र के बच्चों की त्वचा पर थोड़ा भी रंग ना लगाएं. चाहें तो लाल चंदन का छोटा टीका प्रतीक के तौर पर लगा सकते हैं.
भले ही रंग के पैकेट पर ऑर्गेनिक या नेचुरल लिखा हो तो भी उसे खरीदने के दौरान सावधानी बरतें क्योंकि होली के रंगों के लिए कोई तय नियम नहीं हैं. इसलिए खरीदने से पहले रंग के बारे में अच्छी तरह से जांच-परख कर लें.ऐसा हो सकता है कि सूखे रंग और गुलाल हर्बल या वेजिटेबल डाय से बने हों लेकिन रंग का जो बेस है वह नुकसानदायक हो सकता है. पावडर के कुछ बेस में सिलिका का भी प्रयोग होता है, जो त्वचा को ड्राय करने का काम करता है, यहां तक कि उसमें एस्बेस्टस भी हो सकता है जो कैंसर का कारण बन सकता है.
यदि रंगों से खेलने जा ही रहे हैं तो थोड़ी तैयारी जरूर कर लें. ऑयल, पेट्रोलियम जैली या मॉइश्चराइजर लगाकर निकलें.इससे आपकी त्वचा रंगों को अवशोषित करने से काफी हद तक बची रहेगी, साथ ही होली खेलने के बाद रंग छुड़ाना भी थोड़ा आसान हो जाता है. बालों पर भी थोड़ा तेल लगाकर जाएं, ताकि रंगों में मौजूद डाय आपके सिर और बालों से चिपके नहीं.
होली के रंग छीन सकते है आँखों की रौशनी
ठन्डे पानी से न धोये होली के रंग