देहरादून: राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की जिम्मेदारी जिन आला अधिकारियों के हाथ में सौंपी गई हैं, वे अधिकारी ही इस जिम्मेदारी से बचते हुए नजर आ रहे हैं. दरअसल मामला यह है कि बाल संरक्षण आयोग द्वारा शिक्षा विभाग को राज्य के 80 फीसदी निजी स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा के इंतजाम न होने की रिपोर्ट सौंपी गई थी. जिसकी कार्रवाई शिक्षा विभाग द्वारा अभी तक नहीं की गई हैं. देहरादून के मुख्य शिक्षा अधिकारी ने तो निजी विद्यालयों पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई से साफ़ इंकार कर दिया.
उनका मानना है कि प्राइवेट स्कूलों में मॉनिटरिंग का काम बोर्ड का है. आपको जानकारी के लिए बता दे कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य बाल संरक्षण आयोग से प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों के वाहनों में बच्चों की सुरक्षा संबंधी रिपोर्ट मांगी थी. जिस पर आयोग द्वारा कई विद्यालयों का सर्वे किया गया. जिनमे आयोग को 80 प्रतिशत स्कूलों के वाहनों में बच्चों की सुरक्षा के साथ लापरवाही देखने को मिली. सीईओ देहरादून का कहना है कि पब्लिक स्कूलों की मॉनीटरिंग संबधित बोर्ड को ही करनी चाहिए राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष योगेन्द्र खंडूड़ी ने कहा कि उन्होंने स्कूलों के मसले पर शिक्षा विभाग और अन्य मसलों पर संबधित विभागों को निर्देशित किया है. साथ ही उन्होंने बताया कि इससे पहले शिक्षा विभाग कोर्ट में भी प्राइवेट स्कूलों को लेकर अपने हाथ खड़े कर चुका है.
पब्लिक स्कूलों की मॉनीटरिंग संबधित बोर्ड को ही करनी होती है. हम सिर्फ आरटीई के मसले पर ही स्कूलों की मॉनीटरिंग कर रहे हैं. एसबी जोशी, मुख्य शिक्षा अधिकारी, देहरादून.
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