आज भी भारत के करीब 19 करोड़ वयस्कों के पास बैंक खाता नहीं है, विश्व बैंक द्वारा जारी 'वैश्विक फाइंडेक्स रिपोर्ट' में इस सच्चाई का जिक्र है. रिपोर्ट में और भी कई खुलासे है.
विश्व बैंक द्वारा जारी 'वैश्विक फाइंडेक्स रिपोर्ट' में कहा गया है, 'भारत में वित्तीय समावेशन में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और खाताधारकों की संख्या जो 2011 में 35 फीसदी थी. वह 2014 में बढ़कर 53 फीसदी हो गई और अब 2017 में बढ़कर 80 फीसदी हो गई है.'देश में खाताधारकों की संख्या वर्ष 2011 में 35 फीसदी से बढ़कर 2017 में 80 फीसदी हो चुकी है.
-चीन में 22.5 करोड़ वयस्क बैंकिंग सेवाओं से वंचित है,
-भारत में यह आंकड़ा 19 करोड़ का है.
-पाकिस्तान में 10 करोड़
-इंडोनेशिया में 9.5 करोड़ वंचित आबादी है.
-इन चार अर्थव्यवस्थाओं के साथ तीन अन्य देश नाइजीरिया, मैक्सिको और बांग्लादेश को मिलाने पर बैंकिंग सेवाओं से वंचित दुनिया की आधी आबादी बनती है.
-दुनियाभर में कुल 1.7 अरब वयस्क बैंकिंग सेवाओं से वंचित हैं.
-बैंकिंग सेवाओं से विहीन आबादी ज्यादातर विकासशील देशों- जैसे चीन, भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मैक्सिको, नाइजीरिया और पाकिस्तान में पाई जाती है.
-वैश्विक स्तर पर 72 फीसदी पुरुषों और 65 फीसदी महिलाओं के पास बैंक खाते हैं,
-भारत में पुरुषों की तुलना में बैंकिंग सेवाओं से वंचित महिलाओं की संख्या करीब 56 फीसदी हैं.
-जन धन खाताधारकों की संख्या साल 2017 के मार्च में 28.17 करोड़ थी, जो 2018 के मार्च में बढ़कर 31.44 करोड़ हो गई.
-देश में 2015 के मार्च में कुल चालू और बचत खातों की संख्या 122.3 करोड़ थी, जो 2017 के मार्च में बढ़कर 157.1 करोड़ हो गई.
-अब 83 फीसदी पुरुषों और 77 फीसदी महिलाओं के पास बैंक खाते हैं.
- साल 2014 से 2017 के बीच दुनियाभर में 51.4 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं
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