नई दिल्ली : मेरी साथी खिलाड़ी ने रियो पैरालंपिक के लिए मेरे चयन को गलत बताया था। मैंने पदक जीतकर उसे गलत साबित कर दिया। मैं इस बात से बड़ी आहत थी कि मेरी एक साथी खिलाड़ी ने दिल्ली हाई कोर्ट में यह कहकर मुझे रियो जाने से रोकना चाहा था कि फेडरेशन ने मेरा चयन गलत किया है, लेकिन कोर्ट ने सही ठहराते हुए रियो का रास्ता साफ किया था।
यह बात रियो पैरालंपिक में शॉटपुट स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाली दीपा मलिक ने कही। दीपा ने कहा कि पदक जीतने से पहले वह बहुत दबाव में थीं। उन पर इस बात का दबाव था कि पदक नहीं जीत पाईं तो साथी खिलाड़ी उन्हें गलत साबित करेंगी। दीपा ने कहा कि हो सकता है कि उनकी जगह उनकी साथी खिलाड़ी यदि रियो में खेलती और पदक जीतकर देश का नाम रोशन करती, लेकिन उस खिलाड़ी का कोर्ट जाना उनके लिए बड़ा मुश्किल भरा समय था। वह अभ्यास नहीं कर पा रही थीं।
करीब एक महीना इसी में खराब हो गया। यह रियो जाने से ठीक पहले हुआ। अगर यह मामला नहीं होता तो शायद वह रजत की जगह स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रहतीं। दीपा ने कहा कि उनके 10 वर्ष के खेल जीवन में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी ने उनकी खेल काबिलियत पर सवाल उठाया।
दीपा ने गढ़ा एक नया कीर्तिमान, 45 की उम्र में जीता रजत पदक
स्वर्ण परी दीपा को हरियाण सरकार देगी 4 करोड़