छ: लोगों को जिन्दगी दे गया दीपक

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इंदौर : मरने के बाद भी कोई कैसे जिन्दा रहता है यह देखना हो तो उन परिवारों और अंग दान प्रेरकों का शुक्रिया अदा करना चाहिए जिनके त्याग और प्रेरणा से मिले अंग दान से मरणासन्न लोगों को नया जीवन मिला. डेढ़ घंटे में तीन ग्रीन कारीडोर बनाकर 6 लोगों की जिन्दगी बचाई गई. गुरूवार को इंदौर में 18 साल का दीपक धनेता 6 लोगों को नई जिन्दगी दे गया. अरबिंदो अस्पताल में बुधवार को दीपक को ब्रेन डेथ घोषित किया गया था. काफी समझाइश के बाद परिवार अंग दान को राजी हुआ.

पहले प्रशासन ने दो ग्रीन कारीडोर बनाने की योजना बनाई थी लेकिन अचानक तीन ग्रीन कारीडोर बनाए गये. पहला ग्रीन कारीडोर मेंदाता अस्पताल वालों के लिए 11 बजे बनाया गया. वे 7 मिनट में एयरपोर्ट पहुंचकर अपने चार्टर्ड प्लेन से 11.23 पर ही दिल लेकर रवाना हो गये. वहां 58 साल के इक व्यक्ति को दिल लगाया गया. इसके बाद लीवर इंस्टिट्यूट आफ लीवर इन बिलियरी साइंसेस नई दिल्ली की टीम 12.24 पर लीवर लेकर निकले जो 8 मिनट में एयरपोर्ट पहुँचे. वे रूटीन फ्लाईट से लीवर लेकर रवाना हुए. इसे 66 साल की एक महिला को ट्रांसप्लांट किया गया.

इसके तुरंत बाद अरबिंदो से चोइथराम अस्पताल के लिए एक ग्रीन कारीडोर बना. यह किडनी एक महिला को ट्रांसप्लांट की गई जबकि दूसरी उज्जैन के एक पुरुष को लगाई गई. दीपक की माँ मधु धनेता ने कहा कि लोग अंग दान कर दूसरों को जिन्दगी देते हैं लेकिन मेरा बेटा इतने लोगों को जिन्दगी देगा इसकी कल्पना नही की थी. अंग दान के लिए तैयार करने में नाना शिव रतन की प्रमुख भूमिका रही. 6 लोगों की जिन्दगी बचाने के लिए डाक्टर, प्रशासनिक अधिकारी और एनजीओ की टीम लगी रही. कमिश्नर संजय दुबे, आर्गन डोनेशन सोसाइटी के डा. संजय दीक्षित, मुस्कान ग्रुप के जीतू बगानी, संदीपन आर्य आदि के समन्वय से अंगदान हो सके.

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