हिन्दू धर्म में धनतेरस की बहुत मान्यता है, धनतेरस के दिन हिन्दू धर्म में लोग धन लक्ष्मी और धन कुबेर को प्रसन्न करने के लिए इनकी पूजा करते है वैसे पंचांग के मुताबिक इस वर्ष धनतेरस 17 अक्टूबर को पड़ रही है, धनतेरस के दिन ऐसा माना जाता है की इस दिन चांदी, सोने, या पीतल, ताम्बे या कोई भी कीमती वस्तु खरीदी जाती है, और इस दिन खरीदे गए कीमती आभूषण या वस्तु में 13 गुना बढोत्तरी हो जाती है वैसे तो प्राचीन काल में चांदी के आभूषण खरीदने की परम्परा रही है क्योंकी चांदी चन्द्रमा का स्वरुप है और चन्द्रमा तन-मन-धन तीनो का स्वामी है.
क्या आपको पता है कि धनतेरस के दिन धन्वंतरी की भी मान्यता है, इस दिन धन्वंतरि चांदी के कलश व शंख के साथ प्रकट होने के कारण इनका भी पूजन किया जाता है, इस दिन ये शंख के साथ पूजन सामग्री, लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा के साथ चांदी के पात्र या बर्तन खरीदने कि परंपरा आरंभ हुई, कहीं-कहीं इस कलश को पीतल का भी बताया जाता है, कालांतर में चांदी या पीतल के बर्तनों की जगह कीमत और सुगमता के कारण स्टील का प्रचलन शुरू हो गया, हालांकि पारंपरिक रूप से सोने और चांदी को ही श्रेष्ठ माना जाता है.
भगवान धन्वन्तरी को हिन्दू धर्म में देव वैध का पद हासिल है कुछ ग्रंथो के मुताबिक धन्वन्तरी को विष्णु भगवान का स्वरुप भी माना जाता है पवित्र कथाओं के अनुसार कार्तिक कृष्ण द्वादशी को कामधेनु, त्रयोदशी को धन्वंतरि, चतुर्दशी को महाकाली और अमावस्या को महालक्ष्मी प्रकट हुई थी, धन्वंतरि को चतुर्भुज कहा गया है, इनके चारों हाथों में अमृत कलश, औषधि, शंख और चक्र विद्यमान हैं.
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