हिन्दू धर्म में एक चीज बहुत ही काॅमन सी देखने को मिलती है। और वह है, हर घर में भगवान की तस्वीर का होना। आमतौर पर यह देखने को मिलता है कि हर हिन्दू घर में किसी न किसी भगवान की तस्वीर जरूर लगी होती है। ऐसी मान्यता है कि घर में भगवान कि तस्वीर के लगे रहने से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती। वंही इसके पीछे मनोविज्ञान का भी यह तथ्य है कि जहां भगवान कि तस्वीर होती हैं, वह जगह सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण होती है। आज हम आपसे कुछ इसी सिलसिले पर चर्चा करने वाले हैं, यहां पर हम जानेगें कि हमे वह कौन सी जगह भगवान कि तस्वीर लगाना चाहिए जिससे हमें लाभ मिले।
शयनकक्ष यानी बेडरूम में भगवान की कोई प्रतिमा या तस्वीर नहीं लगाई जाती। केवल स्त्री के गर्भवती होने पर बालगोपाल की तस्वीर लगाने की छूट दी गई है। आखिर क्यों भगवान की तस्वीर अपने शयनकक्ष में नहीं लगाई जा सकती है? इन तस्वीरों से ऐसा क्या प्रभाव होता है कि इन्हें लगाने की मनाही की गई है? वास्तव में यह हमारी मानसिकता को प्रभावित कर सकता है। इस कारण भगवान की तस्वीरों को मंदिर में ही लगाने को कहा गया है, बेडरूम में नहीं। चूंकि बेडरूम हमारी निजी जिंदगी का हिस्सा है, जहां हम हमारे जीवनसाथी के साथ वक्त बिताते हैं।
बेडरूम से ही हमारी सेक्स लाइफ भी जुड़ी होती है। अगर यहां भगवान की तस्वीर लगाई जाए, तो हमारे मनोभावों में परिवर्तन आने की आशंका रहती है। यह भी संभव है कि हमारे भीतर वैराग्य जैसे भाव जाग जाएं और हम हमारे दाम्पत्य से विमुख हो जाएं। इससे हमारी सेक्स लाइफ भी प्रभावित हो सकती है और गृहस्थी में अशांति उत्पन्न हो सकती है। इस कारण भगवान की तस्वीरों को मंदिर में ही रखने की सलाह दी जाती है।
जब स्त्री गर्भवती होते है तो गर्भ में पल रहे बच्चे में अच्छे संस्कारों के लिए बेडरूम में बाल गोपाल की तस्वीर लगाई जाती है। ताकि उसे देखकर गर्भवती महिला के मन में अच्छे विचार आएं और वह किसी भी दुर्भावना, चिंता या परेशानी से दूर रहे। मां की अच्छी मानसिकता का असर बच्चे के विकास पर पड़ता है।
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