मानव जीवन में एकाग्रता बहुत जरुरी है हमें अपने जीवन में किसी भी कार्य को करने के लिए एकाग्रचित होना बेहद जरूरी होता है. एकाग्रता से ही कार्य को गति मिलती है, और कार्य सिद्ध होता है . जैसा की बच्चों के अंदर बचपना अधिक होता है. उनका मन यहां- वहां भटकने लगता है. उनके इस भटके मन को सही दिशा प्रदान करने के लिए एकाग्रता का होना बहुत जरूरी है. इसके लिए बच्चों को यदि घर के वास्तु अनुसार रहन सहन ,और स्थान पर ध्यान दिया जाए तो उनके बौद्धिक विकास में वृद्धि होती है .
वास्तु के अनुसार बताया जाता है कि बच्चों के पढाई स्थान में साफ- सफाई और शांति का वातावरण रहना चाहिए उनके अध्यन कक्ष में ध्यान भंग करने वाली कोई वस्तु नहीं होनी चाहिए. जैसे टी वी, अन्य कोई म्यूजिक सिस्टम .
बच्चो के पढ़ने वाला स्थान सामान्य आकार का होना चाहिए कहने का तात्पर्य टेबल आयताकार, वर्गाकार या गोलाकार होना चाहिए. टेबल का आकार आड़ा-तिरछा होगा तो बच्चा एकाग्रचित्त नहीं हो पायेगा. टेबल के कोने कटे हुए नहीं होने चाहिए.
उत्तर दिशा से आने वाली ऊर्जा सकारात्मक होती है. पढ़ते समय बच्चे का चेहरा उत्तर की ओर होना चाहिए। ऐसा करने से थकान नहीं होती और एकाग्रचित बना रहता है. इस दिशा को ब्लॉक न करें, घर के अंदर इस दिशा से एनर्जी को आने दें.
बच्चे जब भी अध्ययन के लिए बैठते हैं तो उनकी पीठ के पीछे दीवार होनी चाहिए। पीठ के पीछे कोई खिड़की या द्वार नहीं होना चाहिए वो एनर्जी सपोर्ट तो देती है पर ध्यान भंग करते है .
पढ़ाई करते समय बच्चों के सामने से ऊर्जा के प्रवाह में किसी भी तरह की कोई भी बाधा नहीं आनी चाहिए. उनके सामने करीब 5 -6 फीट का स्पेस होना चाहिए. अध्ययन करने वाली टेबल को दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए कुछ अंतर बनाकर रखें.
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