क्या आप भी रात 12 बजे के बाद अपना जन्म दिन मनाते है तो हो जाईये सावधान

क्या आप भी रात 12 बजे के बाद अपना जन्म दिन मनाते है तो हो जाईये सावधान
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दोस्तों प्राचीन काल में जन्म दिवस मनाने का प्रचलन नहीं था क्योंकि किसी को भी ऐसा कुछ ज्ञात ही नहीं था, लेकिन अब समय बदल चूका है आज के समय में हर व्यक्ति को अपना और अपने चाहने वालो का जन्म दिवस मनाने का उत्साह रहता है कुछ लोग अपने प्रियजन को शुभकामनाये देने के लिए रात 12 बजे का इंतज़ार करते है लेकिन आपको शायद मालूम नहीं है कि रात में 12 बजे से 3 बजे तक किसी का भी जन्म दिवस नहीं मनाना चाहिए क्योकि इसके पीछे एक रोचक कहानी बताई जाती है जो इस प्रकार है.

भारतीय ज्योतिष के मुताबिक रात 12 बजे से 3 बजे के बीच अदृश्य शक्ति हमारे आस पास घूमती रहती है जो हमें किसी भी वक्त बाधा पंहुचा सकती है, श्रीमद भागवत गीता महापुराण में बताया गया है कि ‘निशीथ’ रात्रि के एक कल्पित पुत्र का नाम है निशीथ को रात्रि दोष के तीन पुत्रों में से एक पुत्र बताया गया है, सरल शब्दों में निशीथ का अर्थ है झुकी हुई तीक्ष्ण-आधी रात, निशीथ काल रात्रि को वह समय है जो समान्यत: रात 12 बजे से रात 3 बजे की बीच होता है, आमजन इसे मध्यरात्रि या अर्ध रात्रि काल कहते हैं, शास्त्रनुसार यह समय अदृश्य शक्तियों, भूत व पिशाच का काल होता है, इस समय यह शक्ति अत्यधिक रूप से प्रबल हो जाती हैं, हम जहां रहते हैं वहां कई ऐसी शक्तियां होती हैं, जो हमें दिखाई नहीं देतीं लेकिन अपना प्रभाव छोड़ती रहती है, जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो उठता है और हम दिशाहीन हो जाते हैं, इन अदृश्य शक्तियों को ही आम जन ऊपरी बाधाओं की संज्ञा देते हैं.

ऐसा माना गया है कि जातक अपना जन्मदिन 12 बजे, निशीथ काल (प्रेत काल) में मनाते हैं, जन्मदिन की पार्टी में अक्सर मदिरा व मांस का चलन होता है, प्रेतकाल में केक काटकर, मदिरा व मांस का सेवन करने से अदृश्य शक्तियां व्यक्ति की आयु व भाग्य में कमी करती हैं और दुर्भाग्य उसके द्वार पर दस्तक देता है, साल के कुछ दिनों को छोड़कर जैसे दीपावली, 4 नवरात्रि, जन्माष्टमी व शिवरात्रि पर निशीथ काल महानिशीथ काल बन कर शुभ प्रभाव देता है जबकि अन्य समय में दूषित प्रभाव देता है.

 

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