भारत एक ऐसा देश जहां रीति-रिवाज और परम्पराओं को अधिक महत्व दिया जाता है यहां सभी शुभ कार्य पूरे रीति-रिवाज के साथ किया जाता है. भारत अपने इसी रीति-रिवाज के कारण पूरे विश्व में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. बात करें हिन्दू धर्म में किसी के विवाह कि तो इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है जो कि पूरे रीति-रिवाज और मुहूर्त देखकर किया जाता है हिन्दू विवाह में दुल्हन के श्रृंगार का बहुत महत्व होता है उसके मांग के टीके से लेकर पैर की बिछिया तक सभी का महत्व है. बिछिया एक सुहागन स्त्री का प्रतीक होती है परंपरा की दृष्टि से इसका महत्व बहुत ही रोचक है आइये जानते है स्त्रियों के पैरों में बिछिया पहनने का क्या महत्व है?
बिछिया हिन्दू व मुस्लिम दोनों ही धर्म की स्त्रियाँ पहनती है ये सुहागन का प्रतीक होने के साथ ही इसका वैज्ञानिक महत्व भी है जिसके अनुसार इसका सम्बन्ध स्त्री के गर्भाशय से होता है. क्योंकि जिस ऊँगली में बिछिया पहनी जाती है उस ऊँगली की नस स्त्री के गर्भाशय से जुड़ी होती है जो गर्भाशय को नियंत्रित करती है व इसके रक्तसंचार को संतुलित करती है जिससे गर्भाशय स्वस्थ रहता है.
बिछिया धारण करने से इस उंगली की नस पर दबाव बना रहता है जो स्त्री के तनाव को कम करता है और उनके मासिक चक्र को नियमितता प्रदान करता है जिससे उन्हें गर्भ धारण करने में किसी तरह की परेशानी नहीं होती है और इसे धारण करने से स्त्री के प्रजनन अंग भी स्वस्थ रहते है. बिछिया के विषय में शास्त्रों में कहा गया है की जब स्त्रियों के द्वारा अपने दोनों पैरों में चांदी की बिछिया धारण की जाती है तो उन्हें मासिक अनियमितता का सामना नहीं करना पड़ता है और गर्भ धारण करने में आसानी होती है.
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