नई दिल्ली : अर्थव्यवस्था में इन दिनों विरोधाभासी स्थिति चल रही है .एक ओर जहां औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) विकास की रफ्तार उम्मीद से भी कम रही है, वहीं खुदरा महंगाई दर में एक बार फिर वृद्धि देखने को मिली है. इस तरह आर्थिक स्थिति को दोहरा झटका लगा है.
उल्लेखनीय है कि फरवरी में आईआईपी विकास दर घटकर नकारात्मक क्षेत्र में पहुंच गई और -1.2 फीसदी रही. जनवरी में वृद्धि दर 2.7 फीसदी थी. वहीं दूसरी ओर मार्च में रिटेल महंगाई दर फरवरी की तुलना में 0.16 बढ़कर 3.81 फीसदी दर्ज की गई. फरवरी में खुदरा महंगाई दर 3.65 फीसदी थी. बाजार विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आईआईपी और खुदरा महंगाई आंकड़े आर्थिक विकास को बढ़ाने और ब्याज दर घटाने के लिए ठीक नहीं हैं.
इस बारे में आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर केसी चक्रवर्ती ने कहा कि आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अब पूरा फोकस खुदरा महंगाई कम करने पर होगा. महंगाई कम होने पर ही ब्याज दर में कमी की गुंजाइश बनेगी. बता दें कि मार्च में खुदरा महंगाई में तेजी का मुख्य कारण ईंधन, लाइट की महंगाई दर में बढ़ोतरी होना है. जबकि खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर में कमी आई है. मार्च में खाद्य महंगाई दर 2.01 फीसदी से मामूली घटकर 1.93 फीसदी पर आ गई. सब्जियों की महंगाई दर -8.29 फीसदी से घटकर -7.24 फीसदी रही. जबकि फल महंगे हो गए.
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