व्यक्ति के नक्षत्र के आधार पर किसी रोग के ठीक होने न होने का पता लगाया जाता है, इसके लिए जरूरी है की व्यक्ति के रोग का समय ज्ञात हो यानी वह प्रथम बार कब रोग ग्रस्त हुआ था. उसी समय के नक्षत्र के आधार पर उसकी स्थिति का पता लगाया जा सकता है. इन नक्षत्रों स्वाति, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़, पूर्वाभाद्रपद, पूर्वाफाल्गुनी, आर्द्रा और विश्लेषा में जो व्यक्ति रोग से ग्रसित होता उसका रोग ठीक नहीं होता और उसकी मृत्यु हो जाती है.
रेवती और अनुराधा नक्षत्र में प्रारंभ रोग अधिक समय तक रहता है और बहुत कष्टदायक होता है.
भरणी,श्रावण,शतभिषा और चित्रा में प्रारंभ रोग 11 दिन तक रहता है.
विशाखा,हस्त और घनिष्ठा का रोग 15 दिनों तक रहता है.
मूल कृतिका और अश्वनी में जो रोग प्रारंभ होता है वह 9 दिनों का होता है.
मघा का रोग 7 दिन और म्रग्शिरा,उत्तराषाढ़ का रोग एक माह तक होता है.
अन्य जो बाकी के नक्षत्र बचे है उनमे प्रारंभ होने वाले रोग जल्द ठीक हो जाते है.
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