चुनाव आयोग द्वारा आज कर्नाटक विधान सभा के चुनाव की घोषणा कर दी गई. 12 मई को चुनाव होंगे और 15 मई को नतीजे आएँगे. इसके साथ ही इस राज्य में चुनावी गतिविधियां और ज़ोर पकड़ेंगी. हर राजनीतिक दल की यह कोशिश रहती है कि वह होने वाले चुनाव में जीत दर्ज कर सत्ता हासिल करे. आइए देखते हैं कर्नाटक में किस पार्टी के चुनावी हालात कैसे हैं.
सबसे पहले आपको जानकारी दे दें कि कर्नाटक को छःभागों में बांटा गया है.जहाँ तक तटीय क्षेत्र की बात है, तो यहां बीजेपी की मजबूत पकड़ रही है. लेकिन पिछले चुनावों में कांग्रेस ने यहां बढ़िया प्रदर्शन किया था. लेकिन इस बार कांग्रेस के लिए इन इलाकों में मुश्किल हो सकती है. जबकि पुराने मैसूर क्षेत्र में तीनों दलों अर्थात कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस का प्रभाव यहां समान है. हालाँकि अबकी बार बीजेपी और जेडीएस की कुछ इलाकों में अच्छी स्थिति है.जबकि कांग्रेस का पूरे इलाके में असर है.
बता दें कि कर्नाटक में बीजेपी की छवि एक शहरी पार्टी की रही है.इसलिए बेंगलुरु क्षेत्र में बीजेपी हमेशा से बेहतर स्थिति में रहती है.बेंगलुरु में ब्राह्मणों की संख्या ज्यादा है, वो परंपरागत रूप से बीजेपी के समर्थक रहे हैं.शिक्षित और नौकरी वाले लोगों का इलाका होने से इस वोट बैंक का भी बीजेपी को लाभ मिल सकता है. कांग्रेस का भी यहां परंपरागत वोट बैंक है. जहाँ तक मुंबई-कर्नाटक क्षेत्र का सवाल है, तो ये इलाका लिंगायत समुदाय की बहुलता वाला है.जिनका झुकाव बीजेपी की ओर रहा है. बीएस येदुरप्पा भी इसी समुदाय से आते हैं.इसी बात को देखते हुए कांग्रेस ने चुनाव से पहले लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया.
जबकि हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में लिंगायत के साथ रेड्डी ब्रदर्स का भी प्रभाव है.जो बीजेपी के समर्थक माने जाते हैं. यहां से लोकसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे आते हैं.पिछड़े वर्ग से होने से उनका भी इस इलाके में असर है. वहीं केंद्रीय कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस दोनों अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं,हालाँकि वर्ष 2013 के चुनावों में भाजपा को 32 सीटों से केवल दो सीटें ही मिली थी.इसलिए उसका पूरा ध्यान यहीं केंद्रित है.
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