दोस्तों ये बात तो हम प्राचीनकाल से ही सुनते आए हैं कि जीव का अस्तित्व जल, पृथ्वी, वायु, आकाश, अग्नि इन पंचभूतों पर निर्भर है. इसलिए मानव अस्तित्व के लिए ये आवश्यक है कि वो इन सबका बैलेंस बना कर रखे. लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है जल और वायु का प्रदुषण लगातार बढ़ता जा रहा है. जल और वायु के प्रदुषण के कारण इसका बुरा असर पृथ्वी पर पड़ रहा है. इससे पीछे एक कारण ये भी रहा है कि पढ़-लिखकर भी मनुष्य अज्ञानी बना रहना चाहता है. मनुष्य के स्वार्थ की वजह से ही पर्यावरण पर बुरा असर देखा जा रहा है.
मनुष्य जिस तरह भौतिक सुख-संपदा के लिए पर्यावरण की अनदेखी कर रहा है उसके बुरे परिणाम हमे देखने को मिलने भी लगे हैं. हम अगर भारत की ही बात करें तो ‘गंगा तेरा पानी अमृत’ ये हमेशा से ही माना जाता रहा है. जबकि पिछले कई सालों से गंगा प्रमुख जगहों पर गन्दी हो चुकी है. कानपुर तक पहुंचते-पहुंचते तो नदी में प्रदूषण स्तर और भी बढ़ जाता है.
विकास के लिए आगे बढ़ने की दिशा में मानव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है वैसे-वैसे पर्यावरण की अनदेखी करता जा रहा है. पर्यावरण के जितने भी प्रकार हैं, उनको कैसे बचाया जाए, यह समस्या आज मुख्य रूप से हमारे सामने मौजूद है. पृथ्वी का अस्तित्व बचाने के लिए जल-प्रदूषण को हर तरह से रोकना होगा. नहीं तो लोगों के सामने इसका भयावह परिणाम आ सकता है.
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