स्त्री के रिश्ते में उसके जन्म से ही कई पड़ाव आते है जन्म लेते ही बेटी, बहन, बुआ और उसकी शादी के बाद पत्नी, भाभी, चाची, देवरानी आदि. इन सभी रिश्तों में सबसे महत्वपूर्ण रिश्ता तब बनता है जब वह किसी शिशु को जन्म देती है. यह रिश्ता होता है माता का, जो की उसके जीवन को पूर्ण करता है. हर स्त्री के मन में माता बनने की चाहत होती है और वह अपनी संतान को लेकर कई सारे स्वप्न देखती है.
वह स्त्री सौभाग्यशाली होती है जिसे मातृत्व सुख प्राप्त होता है. क्या आप जानते है की जब स्त्री गर्भ धारण करती है तो उसकी संतान के इस संसार में आने के पूर्व ही उसकी यह चार बातें निश्चित हो जाती है और यही चार बातें भविष्य में उस शिशु के जीवन का सार बनती है. जो उस शिशु के जीवन से जुड़ी होती है. आइये जानते है वह चार बातें जो माता के गर्भ से ही उसके शिशु के लिए जीवन का सार होती है.
1 जब कोई स्त्री गर्भ धारण करती है तो उसके मन में अपने शिशु को लेकर प्रथम बात यह आती है की उसके शिशु का जीवन काल कितना होगा. वह दीर्घ आयु तक अपनी माता के साथ रहेगा.
2 स्त्री के गर्भ धारण के पश्चात स्त्री के मन की दूसरी बात अपने शिशु के प्रति उसके जीवन में धन और ज्ञान से सम्बंधित होती है की वह अपने जीवन में कितन धन और ज्ञान प्राप्त करेगा.
3 गर्भ में शिशु की तीसरी बात यह होती है की उसका लक्ष्य क्या होगा जिसे हासिल करने के बाद वह वह क्या बनेगा.
4 अंतिम और चौथी बात उसके जीवन की समाप्ति की होती है की वह कब इस संसार को छोड़कर जाएगा.
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