इस मंदिर में आज भी जागृतस्वरूप में नाग देव का वास है

इस मंदिर में आज भी जागृतस्वरूप में नाग देव का वास है
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कहा जाता है कि इस पुण्य भूमि पर सदियों से नागराज का वास है। इस दौरान नव नागों के जागृत होने और अनादि काल से होने की बात भी सामने आती रही है। जिसमें नागराज तक्षक, कालिया, अनंत, वासुकी जैसे नाग आज भी इस धरती पर निवास करते हैं। इन्हीं नागों में कुछ नागों का निवास अति प्राचीन क्षेत्र और मध्यप्रदेश के प्रमुख धार्मिक पर्यटन केंद्र उज्जैन में माना जाता है। यहां प्रसिद्ध ज्योर्तिलिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर के उपरी भाग में अर्थात् प्रथम तल पर भगवान नागचंद्रेश्वर का वास माना जाता है। माना जाता है कि यहां आज भी जागृतस्वरूप में नाग देव का वास है।

यह मंदिर संभवतः ऐसा एकमात्र मंदिर है जो वर्ष में केवल एक बार खुलता है। प्रति वर्ष नागपंचमी पर इस मंदिर के पट आम लोगों के दर्शनों के लिए खोले जाते हैं। मंदिर में दर्शनों के लिए नागपंचमी के एक दिन पहले से ही रात्रि में कतार लगना प्रारंभ हो जाती है। इस दौरान मंदिर के पट भी इसी मध्यरात्रि में पूजन के बाद खोल दिए जाते हैं। मंदिर महानिर्वाणि अखाड़े के पूजन अधिकार क्षेत्र में आता है। जिस कारण यहां पहला पूजन इस अखाड़े के साधुओं द्वारा किया जाता है। महंत या उनके प्रतिनिधि पट खोलते हैं। और इसके साथ प्रारंभ हो जाती है । 

यहां प्रतिष्ठापित प्रतिमा की आराधना यहां एक शिव लिंग और इसके उपरी भाग में परमारकालीन प्रतिमा प्रतिष्ठापित है। यह प्रतिमा नेपाल से लाई गई है जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती के साथ भगवान श्री गणेश जी विराजमान हैं और भगवान शिव पार्वती व गणेश के सिर पर नाग राज फन फैलाए भगवान को छत्र प्रदान कर रहे हैं। इस मंदिर में दर्शनों के लिए विदेशों से भी श्रद्धालु उमड़ते हैं। मंदिर में दर्शनों के लिए लंबी कतार लगती है। 

 

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