नोटबन्दी के कारण फिच ने वर्ष 2017 का जीडीपी अनुमान घटाया

नोटबन्दी के कारण  फिच ने वर्ष 2017 का जीडीपी अनुमान घटाया
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नई दिल्ली : एक ओर जहाँ नोटबंदी से लोग परेशान हैं, वहीँ अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ने से रेटिंग एजेंसियों के विचारों से निराशाजनक तस्वीर उभर रही है. आज रेटिंग एजेंसी फिच ने भी साल 2016-2017 के लिए देश के जीडीपी के अनुमान को 7.4 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है. यानी पूरे 0.5 फीसदी की कमी का अनुमान जताया गया है. यह बात सरकार के लिए चिंताजनक है.

बता दें कि नोटबन्दी से अर्थव्यवस्था पर पड़ने प्रभावों को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार नोटबन्दी का कुछ समय के लिए नकारात्मक असर पड़ेगा.पिछले हफ्ते राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी कहा था कि नोटबंदी से देश की जीडीपी में 2 फीसदी की गिरावट हो सकती है. वहीं आज फिच का अनुमान भी यही संकेत दे रहा है.

रेटिंग एजेंसी के मुताबिक नोटबंदी से छोटी अवधि में विकास पर असर पड़ेगा. खासकर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में विकास  की  गति सुस्त रह सकती है जिसका असर पूरे साल की जीडीपी पर पड़ सकता है. गौरतलब है कि अमेरिका की रेटिंग एजेंसी फिच ने वर्ष 2017-2018 और 2018-2019 के लिए भी भारत की जीडीपी दर के अनुमान को 8 फीसदी से घटाकर 7.7 फीसदी कर दिया था. फिच का मानना है कि देश में अधोसंरचना में जिस तेजी से निवेश आने की उम्मीद थी, नोटबंदी के बाद इस पर नकारात्मक असर दिखेगा.जिसे इंफ्रा में निवेश में कमी आएगी.

फिच की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्राहकों के पास खरीदारी के लिए नकद नहीं है, आपूर्ति श्रंखला के बाधित होने और किसानों को खाद बीज खरीदने में परेशानियों की भी खबरें हैं.भारत सरकार के नोटबंदी के फैसले से उपजे नकदी संकट का असर अक्तूबर- दिसंबर तिमाही में आर्थिक गतिविधियों पर पड़ेगा.

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