नई दिल्ली: अपने पद को छोड़ने के बाद रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नोटबंदी के विषय पर अपनी किताब में लिखा कि उन्होंने नोटबंदी का समर्थन नहीं किया था, उस वक़्त उनका मानना था कि, इस फैसले से अल्पकाल में होने वाला नुकसान लंबी अवधि में इससे होने वाले फायदों पर भारी पड़ेगा.
बताते चले राजन ने अपनी किताब ‘आई डू व्हाट आई डू’ में इस बात का उल्लेख किया है, यह आरबीआई गवर्नर के तौर पर विभिन्न मुद्दों पर दिए गए उनके भाषणों का संग्रह है. राजन ने अपनी किताब में यह कहा है कि, उनके कार्यकाल के दौरान कभी भी आरबीआई से नोटबंदी पर फैसला लेने को नहीं कहा गया. पूर्व गवर्नर की इस पुस्तक ने उन सभी अफवाहों पर भी विराम लगा दिया है, जिसमे कहा जा रहा था कि आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी के चौंकाने वाली घोषणा के कई माह पहले ही बड़े नोटों को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी.
आपको बता दे राजन ने 3 सितंबर 2016 को गवर्नर पद का कार्यकाल पूरा किया था और इस वक्त वह शिकागो यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र पढ़ा रहे हैं. राजन ने कहा कि वह एक साल तक भारत से जुड़े विषयों पर नहीं बोले, क्योंकि वह अपने उत्तराधिकारी को जनता के साथ प्रारंभिक संवाद में दखल नहीं देना चाहते थे. वही उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया, फरवरी 2016 में सरकार ने नोटबंदी पर उनसे राय मांगी थी और उन्होंने मौखिक रूप में अपनी राय बता दी थी.
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