भारतीय क्रिकेट के पूर्व महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर अपने क्रिकेट करियर में कोच रमाकांत आचरेकर के योगदान को याद करते हुए भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि कोच और गुरु दोनों माता-पिता के समान होते है. बच्चों के स्वास्थय पर लिखी किताब ‘इवन व्हेन दियर इज ए डाक्टर' के विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे सचिन ने अपने शुरूआती गुरु आचरेकर पर बात करते हुए कहा कि, 'कोच, गुरू हमारे माता-पिता की तरह हैं क्योंकि हम उनके साथ इतना समय बिताते हैं, हम उनसे इतनी सारी चीजें सीखते हैं.'
इस महान बल्लेबाज ने कहा, 'आचरेकर सर कभी कभी सख्त थे, बेहद सख्त और साथ ही ख्याल भी रखते थे और प्यार करते थे. सर ने मुझे कभी नहीं कहा कि अच्छा खेले लेकिन मुझे पता है कि जब सर मुझे भेल पूरी या पानी पूरी खिलाने ले जाते थे तो वह खुश होते थे, मैंने मैदान पर कुछ अच्छा किया था.' तेंदुलकर बचपन में मुंबई के दादर में स्थित शिवाजी पार्क में कोचिंग लेते थे. उस दौरान की एक घटना को यद् करते हुए सचिन ने बताया कि कैसे उन्होंने स्वतंत्रता का इस्तेमाल जिम्मेदारी से करने का पाठ सीखा.
उन्होंने बताया, "मैं 13 साल का था जब मुझे एक महीने के लिए राष्ट्रीय शिविर में इंदौर जाना था और उस समय मोबाइल नहीं थे. मैं एक महीने के लिए जा रहा था और मेरी मां चिंतित थी. मेरे पिता उन्हें कह रहे थे कि ये हमारे बीच सबसे तेज और चालाक है, उसे पता है, वो समझदार बच्चा है." विश्व के दिग्गज बल्लेबाजों में शुमार तेंदुलकर ने आगे कहा, 'मुझे काफी अच्छा लगा लेकिन इस आजादी के साथ मेरे दिमाग में कहीं ना कहीं यह बात थी कि आजादी जिम्मेदारी के साथ आती है और मुझे अपनी आजादी का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.'
इस दौरान तेंदुलकर ने अपने दोनों बच्चों सारा और अर्जुन तेंदुलकर की अच्छी परवरिश का श्रेय पत्नी अंजलि को दिया. इस कार्यक्रम में अंजलि भी हिस्सा ले रही थी.
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