कोलकाता: बेहला के जेम्स लांग सरणी में मां बीना मजूमदार की 2015 में मौत के बाद तीन वर्षों तक उनके शव को फ्रीजर में रखकर उनका पेंशन उठा रहे बेटे शुभब्रत मजूमदार को शुक्रवार को महज 500 रुपये के निजी मुचलके में जमानत मिल गई. शुक्रवार को उसे अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया. बेहला के जेम्स लांग सरणी में तीन वर्षों तक मां बीना मजूमदार (84) के शव को फ्रीजर में रखकर उनके अंगूठे के निशान की मदद से लगातार पेंशन उठा रहे शुभब्रत मजूमदार ने पुलिस पूछताछ में कई चौकाने वाले खुलासे किए हैं.
अदालत ने उसे मानसिक रूप से बीमार मानते हुए 500 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी. इसके साथ ही मनोचिकित्सा केंद्र में उसका इलाज कराने का सुझाव भी न्यायालय ने पुलिस को दिया है. न्यायालय से उसे सबसे पहले एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां जांच में उसके मानसिक रूप से बीमार होने की पुष्टि हुई है
अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख ने बताया कि शुभब्रत का व्यवहार सामान्य नहीं है और वह कल्पना की दुनिया में रहता है उसने दावा किया है कि उसकी मां पूरी तरह से नहीं मरी थीं. उनका शरीर तो मर गया था लेकिन दिमाग को उसने जिंदा कर लिया था. लेदर टेक्नोलॉजी की पढ़ाई करने के कारण वह क्रायो प्रीजर्वेशन तकनीक के बारे में जानता था. इसके जरिए वह अपनी मां को पूरी तरह से जिंदा करने में लगा था. इसमें रसायन के जरिए शव को सड़ने से बचाया जाता है और एक विशेष तापमान पर दिमाग के वापस जिंदा होने की संभावना होती है.
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