अशुभ मुर्हूत में पहना गया रत्न न तो किसी तरह का उचित फल ही देता है और न ही वह किसी काम का रहता है, अर्थात केवल उंगली की शोभा ही बढ़ता है। इसलिये कोई भी रत्न पहना जाये, शुभ मुर्हूत देखकर ही पहनने की जरूरत है, ताकि रत्न का उचित फल प्राप्त हो सके।
इन बातो का भी ध्यान रखने की जरूरत है-
-रत्न न तो टूटा फूटा होना चाहिये और न ही नकली।
-किसी से छीनकर पहना हुआ रत्न भी पत्थर के समान होता है।
-नकली रत्न पहनने से लाभ नहीं बल्कि नुकसान होना शुरू हो जाता है।
-बगैर प्राण प्रतिष्ठित या बगैर सिद्ध किया हुआ रत्न धारण करने से बचना चाहिये।
-अशुभ मुर्हूत में रत्न न धारण करें और न उसे सिद्ध ही किया जाये।
-रत्न सिद्ध या प्राण प्रतिष्ठित करने के दौरान मंत्रोच्चार एकदम सही हो, अन्यथा किसी योग्य विद्वान ब्राह्मण से रत्न को सिद्ध कराया जा सकता है।