लंबे संघर्ष के बाद फिल्मो में लोकप्रिय हुए अभिनेता पीयूष मिश्रा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। रंगमंच की दुनिया में भी उन्होंने अपनी एक छाप छोड़ी है। हाल ही में पीयूष ने खुलासा किया है कि हीन भावना से उबरने के लिए वह अदाकारी के पेशे में आए। फिल्मों, नाटकों में संगीत निर्देशक, गीतकार, गायक, पटकथा लेखक की भी भूमिका निभाते रहे बहुमुखी प्रतिभा के धनी मिश्रा के मुताबिक एक वक्त था जब कोई उन पर ध्यान नहीं देता था और जब उन्होंने एक नाटक में राजकुमार की भूमिका निभाई तो उन्हें इस क्षेत्र का महत्व समझ में आया।
मिश्रा ने कहा, मेरा मानना है कि मैं जो नहीं हूं, अभिनय से मैं वह बन गया। मैंने 1979 में राजकुमार का किरदार अदा किया था। मैं एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से था। हीन भावना से भरा था, अंतमुर्खी था। उन्होंने कहा, सभी ने मेरी तरफ ध्यान देना बंद कर दिया, लड़कियां कभी मुझ पर ध्यान नहीं देती थीं।
जब मैंने अभिनय किया तो मुझे लगने लगा कि दुनिया पर राज कर रहा हूं। उन ढाई घंटों में मैं कह रहा था हंसो तो लोग हंस रहे थे, मैं कह रहा था कि रोओ तो लोग रो रहे थे। मैं हैरान था और मुझे पता चला कि यह अद्भुत कला है।