आप सभी को पता ही होगा कि शारदीय नवरात्र का आ आरम्भ अश्विन शुक्ल प्रतिपदा 10 अक्टूबर बुधवार को होगा लेकिन इससे पूर्व बुधवार के दिन 28 सितंबर 2011 में नवरात्र का शुभारंभ हुआ था और इस साल मां दुर्गा नाव पर सवार होकर हमारे घर में विराजमान होंगी. जी हाँ, माता के नाव पर सवारी करने से राज्य में अचानक आपदाएं आने और दुर्घटनाएं होने की आशंका रहती है इस वजह से इस बार माँ को नाव में सवार कर लाया जाने वाला है. आप सभी को बता दें कि प्रतिपदा सुबह 7:27 बजे तक रहेगी. प्रतिपदा को सूर्योदय सुबह 6:27 बजे होगा वहीं देवी पुराण के अनुसार देवी का आह्वान, स्थापना, पूजन आरोपण प्रात:काल में ही किया जाना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.
ऐसे में नवरात्र स्थापना सुबह 6:27 से 7:01 बजे तक कन्या लग्न व द्विस्वभाव लग्न करना सर्वश्रेष्ठ रहने वाला है. इसी के साथ ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार बुधवार के दिन अभिजित मुहूर्त को त्यागना चाहिए और ऐसे में लाभ, अमृत के चौघड़ियों में ही पूजन किया जाना शुभ होगा. नवरात्र के नौ दिनों में से सात दिन अनेक योगों का संयोग बनने वाला है और चार नवरात्र में रवियोग, दो दिन में राजयोग, एक में सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग आने वाला है.
वैसे तो नवरात्र के पूरे नौ दिन ही बहुत शुभ माने गए हैं लेकिन इन योगों के संयोग में कोई भी शुभ कार्य, खरीदी, नए काम की शुरुआत करना बहुत ही लाभदायक और शानदार होगा. कहा जा रहा है कि इस साल नवमी के दिन ही 18 अक्टूबर को ही दशहरा भी मनाया जाने वाला है.
Happy Navratri २०१८ क्या है पापी क्या है घमंडी