आप सभी जानते ही हैं कि इस बार गोवर्धन पूजा 8 नवंबर को मनाई जा रही है. ऐसे में यह त्यौहार दिवाली के ठीक अगले दिन मनाया जाता है. कहा जाता है और यह मान्यता भी है कि 'द्वापर युग में समस्त ब्रजवासी दीपावली के त्योहार के अगले दिन भगवान इंद्र की पूजा किया करते थे.लेकिन भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को तर्क दिया कि इंद्र से हमें कोई लाभ नहीं मिलता है.बारिश करना उनका काम है और वह केवल अपना काम करते हैं, जबकि गोवर्धन पर्वत गौ-धन का संवर्धन एवं संरक्षण करता है इसलिए गोवर्धन की भी पूजा करें.प्रकृति का संरक्षण करें.'
वहीं इस बात से भगवान इंद्र बेहद क्रोधित हो गए और उन्होंने मूसलाधार बारिश करना शुरु कर दिया.इंद्र के गुस्से से सभी ब्रजवासी भयभीत हो गए.इंद्र को सबक सिखाने और ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया.इंद्र जब पानी बरसा के थक गए तो उन्हें अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान से माफी मांगी.उसी दिन से गोवर्धन पूजा करने की शुरुआत हो गई.इसे लोग अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं.'
आइए आप सभी को बताते हैं कि इस दिन क्या-क्या करते हैं.
1. कहा जाता है इस दिन गोवर्धन के सूख जाने पर उन पर मुकुट लगाया जाता है और आंखों को खूबसूरत रंगों से सजाया जाता है. वहीं फूल-पत्तियों से भी गोवर्धन का श्रृंगार किया जा सकता है.
2. कहते हैं सुंदर मोरपंख से बना मुकुट लगाकर गोवर्धन को सजाया जा सकता है.
3. कहा जाता है रिबिन और मोरपंख दोनों के मिलाकर सुंदर मुकुट बनाकर उन्हें सजाया जाना चाहिए और रंगों से हंसते-मुस्कुराते गोवर्धन को बनाकर उनकी पूजा की जानी चाहिए.
4. कहते हैं गोवर्धन को सजाने में जल्दबाजी ना करें आप उनके सूखने के बाद आराम से खूबसूरत रंगों से सजाया जाता है.
5. कहा जाता है गोवर्धन को घर के आंगन में बनाएं और सूखने के बाद सबसे पहले रंगों और फूलों से आंख और नाक बनाएं और एकदम अंत में मुकुट लगा दें.
अपने ख़ास और दोस्तों को ऐसे दें गोवर्धन पर्व की बधाई
गोवर्धन पूजा: आज जरूर करें यह काम, होगा बेड़ा पार
क्या आप जानते हैं गोवर्धन पूजा का महत्व