कड़कनाथ को पीछे कर ब्लैक रॉक को पालने से बढ़ रही आमदनी

कड़कनाथ को पीछे कर ब्लैक रॉक को पालने से बढ़ रही आमदनी
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जगदलपुर: बस्तर की आबोहवा में तेजी से पनप रही कुक्कुट की नई प्रजाति ब्लैक रॉक कड़कनाथ को पछाड़ रही है। चूंकि यह प्रजाति कड़कनाथ से ज्यादा मांस और अंडे देती है और किसी भी परिस्थिति में स्वयं को ढाल लेती है, इसलिए कोंडागांव, नारायणपुर, सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर और बस्तर जिले के 1500 कुक्कुट उत्पादक इसे बड़ी संख्या में पालने लगे हैं।

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यहां बता दें कि स्थानीय कुक्कुट पालन केंद्र से बीते पांच महीने में 67 हजार 500 चूजों का विरतण हो चुका है। वहीं एक लाख 26 हजार 600 चूजों की मांग और आई है। यानि बता दें कि अच्छी आमदनी देने वाला स्वरोजगार। विदेशी नस्ल की ब्लैक रॉक के अन्य नाम आरआइआर और कलिंगा ब्राउन हैं। इसे देसी और ब्रायलर से बेहतर माना जा रहा है।

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गौरतलब है कि कड़कनाथ प्रजाति अधिकतम दो किग्रा तक वजनी होता है और साल भर में सौ से ज्यादा अंडे नहीं देता, जबकि ब्लैक रॉक मात्र 70 दिनों में एक किलो व छह महीने में साढ़े तीन किलो तक हो जाता है। साल भर में तक 200 अंडे देता है। इसका अंडा सामान्य मुर्गियों से बड़ा भी होता है।यहां बता दें कि खास बात यह, इसे देशी मुर्गियों की तरह घर में पाला जा सकता है। बस्तर की देसी मुर्गियों की मांग महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाके में अधिक है। प्रतिदिन लगभग सौ क्विंटल माल बाहर भेजा जा रहा है। इसलिए ब्लैक रॉक को देसी का बेहतर विकल्प भी माना जा रहा है।

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