आज राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती है। एक पिता की तरह उन्होंने देश के जनमानस को हमेशा सत्य की राह दिखाई. शांति, अहिंसा, सत्याग्रह जैसे गुणों की वे साक्षात प्रतिमूर्ति थे। साथ ही उन्होंने स्वच्छता के सन्देश की जो लौ जलाई थी वह आज बड़े स्तर पर देश में प्रकाशमान हो रही है। वे सभी को अपना काम स्वयं करने की प्रेरणा देते थे और उन्होंने स्वयं भी अपनी कथनी और करनी में कभी अंतर नहीं रखा। इतनी बड़ी शख्सियत होने के बाद भी वे अपना हर कार्य स्वयं किया करते थे। यही नहीं वे हरिजन बंधुओ और कुष्ठ पीडितो की सेवा में दिन रात तत्पर रहते थे।
वे आश्रम के शौचालय तक साफ़ किया करते थे। वे अपने पूरे जीवन में संयम और विनम्रता की विभूति बनकर देश का नेतृत्व करते रहे। उनके इन्ही गुणों ने उन्हें एक ऐसी शक्ति प्रदान कर दी कि देश की जनता उनके एक आह्वान पर सड़कों पर उतर अहिंसक आन्दोलन में उनके साथ हो गई ।
आज उनकी जयंती पर उन्हें याद करते हुए यही ख्याल आता है कि काश वे आज होते। क्योंकि वैमनस्य और विदेशी संस्कृति की पट्टी आँखों पर बांधे, भ्रष्टाचार की दलदल में धंसे जा रहे देश को उनके मार्गदर्शन की आज अत्यधिक आवश्यकता है ।