होली का त्यौहार सामने है इस दिन पुराने से पुराण दुश्मन अपने गीले शिकवे भुला कर गले मिल जाता है और रंगो के इस त्योहार में दिलो के मैल धूल जाता है. मगर छोटे मोटे झगडे तो रोज होते है और सुलझ भी जाते है, मगर देश दशकों से मजहबी आग में झुलसता आ रहा है जिसका अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है. आये दिन हिन्दू और मुस्लिम किसी न किसी बात पर एक दूसरे के खिलाफ रंजिशों की तलवार थामे खड़े रहते है और हजारो वारदातों में लाखो जिंदगी गवाने के बाद ये आग और बढ जाती है.
मगर इस सब के उलट बिहार के मसौढ़ी में आम नागरिकों की एक आयोजन कमेटी का गठन कर यह निर्णय लिया गया है कि अब प्रत्येक वर्ष सार्वजनिक रूप से होली मिलन समारोह की अगुवाई मुस्लिम समुदाय और ईद मिलन समारोह की अगुवाई हिंदू समुदाय करेगा, मुहर्रम में निकलने वाली ताजिया रैली की अगुवाई भी हिंदू करेंगे और दुर्गापूजा में प्रतिमा विसर्जन की जिम्मेदारी मुस्लिम समुदाय उठाएगा, बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, इस बार 27 फरवरी को गांधी मैदान में आम नागरिकों की ओर से आयोजित होने वाले होली मिलन समारोह की अगुवाई मसौढ़ी की चार मस्जिदों के पेश इमाम करेंगे. उक्त समारोह में मुस्लिम समुदाय के लोग ही पुआ-पकवान भी बनवाएंगे. तैयारियों को लेकर मसौढ़ी के शांति उत्सव हॉल में मो. अरफराज साहिल व मो. मसूद रजा की अध्यक्षता में बैठक हुई.
समाचार सुन कर विश्वास करने को जी चाहता है कि जिस सपने के भारत की बाते सिर्फ किताबों के पन्नो में दबी है, शायद ये पहल, ये मिसाल, ये कौमी एकता उसे साकार करने की तरफ पहला नेक कदम है.
रंगो और खुशहाली के साथ मनाए होली का त्यौहार, लेकिन ना करे ये गलती
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