इंदौर: मध्यप्रदेश में चेक बाउंस मामले में भले ही नोटिस सही पते पर भेजा हो लेकिन उसकी तामिली सही तरीके से नहीं हुई है तो केस नहीं चलेगा। हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए दो साल से जिला कोर्ट में चेक बाउंस के चार मामलों में चल रही कार्रवाई को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने माना कि कानूनन यह अवधारणा नहीं की जा सकती कि नोटिस सही पते पर भेजा है तो आरोपित को मिल ही जाएगा।
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वहीं इंदौर के सचिन दुबे ने किशोर शर्मा से साढ़े पांच लाख रुपए ऋण लिया था। इस रकम का दुबे ने भुगतान तो कर दिया लेकिन रसीद नहीं ली न ही गारंटी के बतौर दिए चेक वापस लिए। शर्मा ने सचिन दुबे के खिलाफ जिला कोर्ट में चेक बाउंस के चार मामलों में परिवाद दायर किया। इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सचिन दुबे के खिलाफ 2016 में धारा 138 के तहत केस दर्ज कर लिया।
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गौरतलब है कि सचिन दुबे ने जिला कोर्ट के केस दर्ज करने के आदेश के खिलाफ एडवोकेट राघवेंद्र रघुवंशी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इसमें तर्क रखा कि परिवादी द्वारा अभियुक्त को दिए गए नोटिस की पर्याप्त तामिली नहीं हुई है। पोस्टमैन ने सिर्फ यह टीप लिखी है कि अभियुक्त के घर पर सूचना दे दी गई थी। नोटिस ही तामिल नहीं हुआ तो अपराध दर्ज नहीं किया जा सकता। वहीं कोर्ट ने यह माना कि एक तो नोटिस की विधिवत तामिली नहीं हुई थी और दूसरा यह कि बैंक ने चेक रिटर्न मेमो पर लिखा है कि 'काइंडली कांटेक्ट ड्रावर बैंक, प्लीज प्रजेंट एगेन' इसे चेक अनादरण का आधार नहीं माना जा सकता। एडवोकेट रघुवंशी ने बताया कि हाई कोर्ट ने चेक अनादरण के चारों मामलों में जिला कोर्ट में दो साल से चल रही कार्रवाई को निरस्त कर दिया।
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