नई दिल्ली: धर्म परिवर्तन कर दो शादियां करने वालो से परेशान लोगो के लिए खुश खबरी है, हालही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि शादीशुदा व्यक्ति द्वारा धर्मपरिवर्तन कर दूसरी शादी करना अवैध है. ऐसे विवाह को कानून की नजर में कोई मान्यता नहीं दी जाएगी. पहली शादी से तलाक हुए बिना दूसरी शादी करना भी गैरकानूनी है.ऐसा विवाह शून्य और अवैध माना जाएगा.
साथ ही कोर्ट ने जौनपुर की विवाहित महिला द्वारा दूसरे धर्म के पुरुष से विवाह करने के लिए धर्म परिवर्तन करने और फिर शादी कर लेने के मामले में कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है, इतना ही नहीं अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग को भी खारिज कर दिया है.
न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने यह आदेश जौनपुर की खुशबू बेगम उर्फ खुशबू तिवारी और उसके कथित पति अशरफ की याचिका पर सुनाया है. याचिका के मुताबिक खुशबू तिवारी की पहली शादी 30 नवंबर 2016 को हुई थी, इस बीच वह अशरफ के संपर्क में आई और पहली शादी से तलाक लिए बिना उसने धर्मपरिवर्तन कर जौनपुर के बरसठी थाने के जमुनीपुर गांव निवासी अशरफ से शादी कर ली, और अपना नाम भी बदल कर खुशबू बेगम कर रख लिया. वहीं अधिवक्ता विनोद मिश्र ने कहा कि दोनों के खिलाफ जौनपुर में एनसीआर दर्ज है. कोर्ट ने नूरजहां बेगम उर्फ अंजलि मिश्रा के केस का हवाला देते हुए याचीगण की शादी को शून्य करार दे दिया और उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है.
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