नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह उनके और अन्यों के खिलाफ धन शोधन के एक मामले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश आखिर पेश हो ही गए. बता दें कि इसके पहले उन्हें 13 और 20 अप्रैल को हाजिर होने को कहा गया था, लेकिन वे एजेंसी के समक्ष पेश नहीं हुए थे.
उल्लेखनीय है कि वीरभद्रसिंह धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत बयान दर्ज कराने से बचने के लिए एजेंसी के समक्ष हाजिर नहीं हुए थे. उन्होंने आधिकारिक व्यस्तताओं का हवाला देकर हाजिर होने में असमर्थता जताई थी. ईडी ने अप्रैल के पहले सप्ताह में वीरभद्र सिंह का दिल्ली स्थित फार्महाउस कुर्क कर लिया था, जिसकी कीमत 27.29 करोड़ रुपए है.
स्मरणीय है कि जांच एजेंसी ने पहले सीबीआई द्वारा वीरभद्र और अन्य के खिलाफ 6.03 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति अर्जित करने के मामले में मार्च में आरोपपत्र दाखिल किया था . ईडी ने 23 सितंबर, 2015 को सीबीआई द्वारा रिपोर्ट करने के बाद वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा, जीवन बीमा निगम एजेंट आनंद चौहान, उनके सहयोगी चुन्नी लाल और अन्य के खिलाफ पीएमएलए के तहत अपराधिक मामला दर्ज किया था.
बता दें कि सिंह ने 2009-2012 के बीच केंद्रीय मंत्री रहते हुए 6.03 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति अर्जित की थी, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक थी. जिस पर मामला दर्ज किया गया था. दिल्ली का फार्महाउस जब्त किए जाने के बाद मुख्यमंत्री ने केंद्र पर उन्हें परेशान करने, उनकी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था. उन्होंने केंद्र सरकार पर ईडी और सीबीआई का अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल करने की भी बात कही.
यह भी देखें
हिमाचल की कांग्रेस सरकार मुश्किल में, वीरभद्र सिंह के बेटे पर ED ने कसा शिकंजा