ऐतिहासिक फैसला: मप्र हाईकोर्ट ने दी दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनुमति

ऐतिहासिक फैसला: मप्र हाईकोर्ट ने दी दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनुमति
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ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर की हाइकोर्ट की एकलपीठ ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए दुष्कर्म से गर्भवती हुई 17 साल आठ माह की एक नाबालिग को कहा कि अगर गर्भपात की अनुमति नहीं दी तो नाबालिग जीवनभर दोहरा दंड भुगतेगी. जन्म के बाद बच्चे को भी जीवनभर दंड भुगतना पड़ेगा, इसलिए नाबालिग के गर्भपात की अनुमति प्रदान की जाती है. इसके लिए जयारोग्य अस्पताल (जेएएच) में एक मेडिकल बोर्ड गठन किया जाए और बोर्ड की निगरानी में 23 मार्च की सुबह 8:45 बजे से गर्भपात की प्रकिया शुरू की जाए. यानी ये प्रक्रिया अब शुरू हो चुकी है.

कोर्ट ने कहा, अगर बच्चा जिंदा निकलता है तो उसे गोद लेने की पॉलिसी के तहत किसी को गोद दे दिया जाए. यहां गौर करने वाली बात यह है कि नाबालिग को 28 सप्ताह का गर्भ है. याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने की. मामला मुरैना जिले के बागचीनी थाने का है जहा 19 फरवरी, 2018 को एक नाबालिग ने दुष्कर्म का मामला सामने आया. केस दर्ज किये जाने के समय नाबालिग के पेट में छह महीने का गर्भ था, बच्चा जन्म न ले, इसको लेकर पीड़िता के पिता ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की. मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने गुरुवार को पिता की गुहार को स्वीकार कर लिया और एक मेडिकल बोर्ड की निगरानी में गर्भपात की अनुमति दी.

हाइकोर्ट के आदेश पर जेएएच में नाबालिग के परीक्षण के लिए गठित मेडिकल बोर्ड में शामिल स्त्री रोग विशेषज्ञ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह गर्भपात एमटीपी एक्ट का उल्लंघन होगा, क्योंकि इस एक्ट के तहत 20 सप्ताह के गर्भ को गिराया जा सकता है, लेकिन नाबालिग के पेट में 28 सप्ताह का गर्भ है. मगर इसके बाद  भी कोर्ट ने ऐतिहासिक आदेश दिया.

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