पटना : कहते है अगर आप का इरादा नेक हो तो मुश्किलें खुद आपका साथ देने लगती है, और यदि नीयत साफ तो हर मंजिल आसान हो जाती है.. इस बात की बानगी रही है नीतीश कुमार की वो मानव श्रृंखला जो पिछले साल विपक्ष में रहने के बाद अपने ऐतिहासिक रूप में समूचे भारत ही नहीं वरन विश्वभर के सामने इतिहास रच गई. शराबबंदी के पक्ष में लगभग 4 करोड़ लोगों ने हाथ से हाथ मिलाकर 11,292 कि.मी. लंबी मानव श्रृंखला का निर्माण कर एक किर्तीमान रच दिया था. ऐसी ही एक महान कोशिश समाज कल्याणार्थ फिर से नीतीश कुमार कर रहे है. 21 जनवरी, 2018 को पूरे बिहार में राज्य सरकार में मानव श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है .इस विशाल और ऐतिहासिक आयोजन का मकसद सामाजिक कुरीतियों दहेज प्रथा और बाल विवाह के प्रति जागरूकता फैलाना और एक स्वर में इनके खिलाफ आवाज़ उठाना है. बहरहाल इस हेतु सभी तैयारियां कर ली गई है. 10 लाख से ज्यादा जागरूकता के नारे लिखे जा चुके है. मुख़्यमंत्री नीतीश कुमार सभी से मानव श्रृंखला में हिस्सेदारी लेने के लिए अपील कर रहे है.
इस बार राज्य के तमाम जिलों को मिलाकर 13654.37 कि.मी. लंबी मानव श्रृंखला होगी. बाल विवाह एवं दहेज उन्मुलन संबंधी 8,55,595 नारों की संख्या बढ़कर 10 लाख से ज्यादा हो गई है. आकड़ों की बात करे तो मधुबनी में 1,83,000, औरंगाबाद में 55,000, खगड़िया में 52920, बांका में 47862 तथा समस्तीपुर में 43068 नारे इस महान कार्य को सिद्ध करने का काम कर रहे है. मानव श्रृंखला महज अपने मूल उदेश्यों दहेज-प्रथा एवं बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता ही नहीं फैलाएगी . ये बिहार को बिहार से जोड़ने का अभूतपूर्व कार्य भी करेगी. इसमें हर आम और खास एक दूसरे की बांह थामे दुनिया को ये सन्देश देते नज़र आएंगे की, सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अमीरी गरीबी,जाति-धर्म, ऊंच-नीच नहीं बल्कि एक राज्य की सरकार के आह्वाहन पर प्रदेश की अवाम खड़ी है. बस सभी मिलकर कुरीति से अपने समाज को बचाना चाहते है. समूचा प्रदेश इस आयोजन को त्यौहार के रूप में मनाने को तैयार है और सरकार ने इस हेतु सभी इंतज़ाम कर लिए है. बेटियों, बहुओं और महिलाओं के सम्मान की इस लड़ाई में नीतीश कुमार सरकार ने पुरे राज्य को आमंत्रण दिया है.
कुरीतियों के कारण मासूम बच्चियां अपना बचपन जीने से वंचित हो रही है . एक तरफ जहां बाल विवाह के कारण उम्र और शरीर दोनों की अपरिपक्वता से झुंझते हुए कई बेटियां इस कुरीति के हाथों बलि चढ़ जाती है. वही दूसरी और दहेज़ लोभियो के हाथों ये बेटियां बहुओं के रूप में जला दी जाती है. मौजूदा कानूनों के साथ बेखौफ खिलवाड़ करते इन सामाजिक अभिशापों को जड़ से मिटाने के प्रति इसी तरह के दृढ़ संकल्प की आवश्यकता थी, जो नीतीश कुमार ने लिया. नीतीश कुमार का ये प्रयास देश के दूसरे राज्यों के लिए सबक है और दुनिया के लिए सन्देश है की बदलता बिहार जल्द विश्व के मानस पटल पर अपनी बदलती परिभाषा के साथ एक इतिहास रचने को तैयार है.
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