भुवनेश्वर : महाप्रभु श्री जगन्नाथ श्रीमंदिर प्रशासन एवं सेवायत के बीच चल रहा विवाद इस मुकाम पर पहुँच गया कि जगत के नाथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ को न केवल भूखा रहना पड़ा , बल्कि सो भी नहीं पाए . यह सब हाईकोर्ट के उस आदेश के तहत हुआ जिसके अनुसार जो सेवायत वहां के लिए अधिकृत हैं वही जा सकते हैं.इसके विरोध में सेवायत धरने पर बैठ गए.
बता दें कि हाईकोर्ट के निर्देश पर सोमवार से जगमोहन भक्तों के एकत्र होकर दर्शन करने का स्थल जगमोहन को भक्तों के लिए खोला गया.बड़ी संख्या में लोगों ने दर्शन किए. लेकिन सेवायतों ने श्रीमंदिर एमार मठ के सामने धरने पर बैठ गए.सेवायतों के अनुसार रत्न सिंहासन के लिए तैनात सेवायतों की संख्या कम है. हाईकोर्ट का यह आदेश अव्यावहारिक है कि जो सेवायत वहां के लिए अधिकृत हैं वही जा सकते हैं. ऐसा करने से इससे व्यवस्था बिगड़ जाती है. जगन्नाथ सेना नामक संगठन ने इस आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की है.
उल्लेखनीय है कि इस विवाद के कारण जगत के नाथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ को ना ही भोग लग सका और ना ही महाप्रभु श्री जगन्नाथ सोमवार की रात सो सके. आज महाप्रभु की मंगल आरती के बाद से अन्य रीति नीति बंद है.करीब 40 लाख रुपए का महाप्रसाद नष्ट हो गया.इस नुकसान की भरपाई श्रीमंदिर प्रशासन द्वारा करने की मांग की गई है. वहीं श्रीमंदिर के मुख्य प्रशासक प्रदीप जेना ने नीति का विलंब न करने की अपील करते हुए कहा कि कुछ सेवायतों का जो अधिकार प्रभावित हुआ है, उस पर बैठकर चर्चा की जा सकती है.
यह भी देखें
धूमधाम से मना ओडिशा का नव वर्ष
सड़क हादसे में दो यात्रियों की मौत, 34 घायल