नई दिल्ली : क्रिकेट मैच हो, हॉकी हो या फिर हो अन्य राष्ट्रिय खेल, यहां कोई एक जीतता है तो कोई हारता, लेकिन हार का मतलब यह नहीं होता की वो खेलना नहीं जनता, भारत - पाकिस्तान के बीच खेले मैच को आखिर क्यों खेल की तरह नहीं देखा जा रहा है, हर जगह भारतीय खिलाड़ियों के लिए जहर उगले जा रहे है, कही सोशल मीडिया पर भारतीय खिलाड़ियों की आलोचना की जा रही है तो कही अपने घरो में बैठे लोग वीडियो के माध्यम से अपनी नारजगी जता रहे है.
माना कि इस मैच से दोनों मुल्को की भावनाये जुडी हुई थी, लेकिन यह सिर्फ एक खेल है, यहां हार और जीत स्वाभाविक है, भारत के पराजय होने के बाद एक वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट किया कि, हमें खेल को बिना गोली के युद्ध की तरह देखना चाहिए. इससे हम बेहतर भारतीय और बेहतर इंसान बन सकेंगे. तो वही लेखक सुधींद्र कुलकर्णी ने पाकिस्तान को जीत की बधाई देते हुए भारतीयों को समझने की कोशिश की, कि पाकिस्तान को बधाई देकर आप कोई कम भारतीय नहीं बन जाओगे. लेकिन हां अगर आप पाक के खिलाफ विरोधी बाते करते हो तो ऐसे ज़रूर बन जाएंगे.
अपने देश के खिलाड़ियों की प्रशंसा करना, उन्हें मैच से पहले प्रोत्साहित करना हर देशवासी का कर्तव्य है. लेकिन खिलाडी वह मैच हार जाए तो उसकी आलोचना करना क्या सही है, क्या अपने स्वार्थ के लिए खिलाड़ियों से उमीदे लगाना सही है. भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली जब आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के दूसरे मुकाबले में श्रीलंका के खिलाफ खेले मैच में शून्य पर आउट हो गए थे तब उनकी कड़ी निंदा की गई थी, लेकिन शायद क्रिकेट प्रेमी यह भूल गए की इनकी कप्तानी में आज भारतीय टीम आईसीसी रैंकिंग के शीर्ष स्थान पर है, यह वही विराट है जिन्होंने टेस्ट मैच में 8 दिसम्बर 2016 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में दोहरा शतक लगाया था, उस वक़्त हर भारतीय को इन पर नाज़ था.
इस टूर्नामेंट में गेंदबाज रविंद्र जडेजा की भी काफी आलोचना की जा रही है इस समय एक पोस्टर काफी वायरल को हो रहा, जिसमे हार्दिक पंडया को बाहुबली और जडेजा को कटप्पा दिखाया गया है. हालांकि पंडया का इस चैंपियंस ट्रॉफी में सभी भारतीय खिलाड़ियों की तुलना में प्रदर्शन शानदर रहा है. लेकिन एक गलती की वजह से जडेजा को विलन माना जाना क्या सही है? याद हो आपको पिछले साल एमए चिदंबरम स्टेडियम में जडेजा ने इंग्लैंड के खिलाफ गेंदबाजी की थी जिसमे उन्होंने 48 रन देकर 7 विकेट चटकाए थे .
वही महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह, रविचंद्रन अश्विन, रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों की आलोचना की जा रही है, लेकिन यहां भी भारतीय क्रिकेट प्रेमी यह भूल गए है कि 2013 में इन्ही खिलाड़ियों ने देश को चैंपियन ट्रॉफी दिलाई थी, जिनकी आज आलोचना की जा रही है.
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