बॉलीवुड की खूबसूरत अभिनेत्री शबाना आजमी ने अपने बयान में कहा कि, "कॉलेज के दिनों में हम लोग थियेटर करते थे, खर्च फारूख शेख की जेब से जाता था. उस दौरान फिल्म इंस्टीट्यूट की कुछ डिप्लोमा फिल्में देखा करती थी. उन्हीं दिनों एक फिल्म देखी- ‘सुमन’, जया भादुड़ी की फिल्म थी. उस फिल्म को देखकर मैं बहुत प्रभावित हुई और उस दिन से मेरी दुनिया बदल गई."
आगे उन्होंने बताया कि, "मैंने अपने वालिद को बताया कि मुझे एक्ट्रेस बनना है, आपको कोई ऐतराज तो नहीं है, मेरे वालिद ने मुझे कहा, 'अपने लिए जो भी रास्ता चुना है, उसमें मुझे कोई भी ऐतराज नहीं होगा, बशर्ते आप यह वादा करें अपने आप से कि आप सबसे बेहतरीन अदाकारा बनेंगी. मुझे इस बात की बेहद खुशी हुई कि मेरे पिता ने मेरे फैसले में साथ दिया, फिर जब मैं फिल्म इंस्टीट्यूट गई, वहां पढ़ने के दौरान ही मुझे मेरी पहली फिल्म मिली, जो ख्वाजा अहमद अब्बास की 'फासला' थी और उसके बाद मुझे कांतिलाल राठौड़ की फिल्म 'परिणय' मिली, जिसकी शूटिंग मैंने हमारा कोर्स खत्म होने के बाद शुरू की थी."
इसके अलावा उन्होंने बताया कि, "फिल्मों में काम करने के दौरान ऐसी दो फिल्में मिलीं, जो मेरे जीवन में तब्दीली लेकर आईं. एक है फिल्म गौतम घोष की 'पार' जिस तरह के किरदार मैं करती हूं, उनमें मेरी कोशिश रहती है कि मैं उसे पूरी ईमानदारी से निभाऊं."
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